7 साल पूर्व
अक्सर हम अनुभव करते हैं कि रोगों से आक्रान्त होने पर आयुर्वेदाचार्य हमें औषिधि के सेवन के साथ साथ पानी को विभिन्न धातुओं जैसे कि (सोना / स्वर्ण, तांबा, लोहा, पीतल, टिन, मिटटी, पीपल की लकड़ी आदि ) से निर्मित पात्र अथवा बर्तनो में रखकर पीने कि सलाह देते हैं | इसी के फलस्वरूप हम विभिन्न धातुओं के पात्र में संग्रहीत अथवा उबले पानी के औषधीय गुणों-अवगुणों की विवेचना कर रहे हैं :-
स्वर्ण / सोने के पात्र में संग्रहीत पानी की औषधीय गुणवत्ताएं :
स्वर्ण के पात्र में रखा हुआ पानी -
♦ तासीर ठंडी होती है |
♦ स्वाद में पानी मीठा लगता है |
♦ त्रिदोष का शमनकारक होता है |
♦ वीर्यवर्धक एवं महिलाओं की प्रजनन क्षमता में वृद्धि करने वाला होता है |
♦ रोग प्रतिरोधक, शक्ति वर्धक होता है |
♦ शुभकारी एवं बुद्धिवर्धक होता है |
चांदी के पात्र में संग्रहीत पानी की औषधीय गुणवत्ताएं :
चांदी के पात्र में रखा हुआ पानी -
♦ तासीर ठंडी होती है |
♦ शरीर को आंतरिक ठंडक प्रदान करता है |
♦ शरीर एवं दिमाग को शांत करता है |
♦ वात, पित्त एवं कफ को संतुलित एवं नियंत्रित करता है |
टिन के पात्र में संग्रहीत पानी की औषधीय गुणवत्ताएं :
टिन के पात्र में रखा हुआ पानी -
♦ शीतलता प्रदान करने वाला होता है |
♦ चिपचिपा होता है |
♦ स्वाद में मीठा होता है |
♦ कफ में वृद्धिकारक होता है |
♦ मल एवं मूत्र में वृद्धिकारक होता है |
पीतल के पात्र में संग्रहीत पानी की औषधीय गुणवत्ताएं :
पीतल के पात्र में रखा हुआ पानी -
♦ स्वाद में कड़वा होता है |
♦ वजन में भारी होता है |
♦ कफ एवं पित्त दोष में वृद्धि कारक होता है |
♦ लम्बी अवधि तक प्रयोग करने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक एवं शक्ति वर्धक होता है |
पीतल के पात्र में उबले हुए पानी की औषधीय गुणवत्ताएं :
पीतल के पात्र में उबला हुआ पानी -
♦ स्वाद में कड़वा, मसालेदार एवं तीखा होता है |
♦ कफ दोष की हानि करने वाला होता है |
♦ पित्त को बढ़ाता है |
♦ गर्म तासीर एवं कटु होने के कारण यह मेहा रोग (एक प्रकार का मूत्र रोग) में वृद्धि कारक हो सकता है |
तांबे के पात्र में संग्रहीत पानी की औषधीय गुणवत्ताएं :
तांबे के पात्र में रखा हुआ पानी -
♦ स्वाद में मीठा होता है |
♦ तासीर में उष्मा वान होता है |
♦ पाचन के बाद स्वाद का रूपांतरण कुछ कटु हो जाता है।
♦ वात एवं पित्त दोष में वृद्धि कारक होता है |
♦ मल एवं अधोवायु की मात्रा में कमी लाता है |
लोहे के पात्र में संग्रहीत पानी की औषधीय गुणवत्ताएं :
लोहे के पात्र में रखा हुआ पानी -
♦ खराब होता है एवं यह पीने के उद्देश्य के लिए अयोग्य होता है |
♦ लोहे के पात्र में पानी द्वारा भस्म का रूप लेने के पश्चात उपयोग करने पर रक्तापित्त, पाचन एवं खुजली में ह्रास करता है |
♦ पानी को लोहे के पात्र में गर्म कर उपयोग करने पर पाचन एवं खुजली में ह्रास करता है साथ ही मल को बाहर निकालकर आमाश्य को भी साफ कर देता है |
मिट्टी के पात्र में उबले हुए पानी की औषधीय गुणवत्ताएं :
मिट्टी के पात्र में उबला हुआ पानी -
♦ दोष एवं शरीर के ऊतकों को संतुलित करता है |
♦ वीर्य एवं प्रजनन में सुधार करने में सहायक है |
♦ रोग प्रतिरोधक, शक्ति में सुधार करने में सहायक है |
पीपल की लकड़ी में उबले हुए पानी की औषधीय गुणवत्ताएं :
पीपल की लकड़ी से निर्मित पात्र में उबला हुआ पानी -
♦ शरीर के लिए आदर्श है।
♦ यह शरीर की चमक को बढ़ाता है और पित्त को भी संतुलित करता है |
एल्युमीनियम के पात्र में संग्रहीत पानी की औषधीय गुणवत्ताएं :
एल्युमीनियम के पात्र में रखा हुआ पानी -
♦ तासीर गर्म होती है |
♦ इससे हड्डियां कमजोर होती है |
♦ वात, पित्त व कफ को असंतुलित करता है |
♦ खराब होता है एवं यह पीने के उद्देश्य के लिए अयोग्य होता है |
स्टील के पात्र में संग्रहीत पानी की औषधीय गुणवत्ताएं :
स्टील के पात्र में रखा हुआ पानी –
गुण एवं दोषों से मुक्त होता है |
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