7 साल पूर्व
पुराने समय में किसी के अस्वस्थ होने पर आयुर्वेदाचार्य अथवा घर की बुजुर्ग महिलाएं पानी को विभिन्न धातुओं से चार्ज कर उपचार में प्रयुक्त किया करते थे | आज भी कई परंपरावादी घरों में व चिकित्सकों द्वारा इस विधि का काफी उपयोग किया जाता है |
पहली विधि :
जब कोई बच्चा अचानक बीमार हो जाता है या थकान महसूस करता है, तो इसके उपचार के लिए लोहे से चार्ज किया हुआ पानी पिलाने के साथ-साथ शरीर पर भी लेपन किया जाता है। यह कई स्वास्थ्य सम्बन्धी विषमताओं जिसे कई परंपरावादी चिकित्सकों द्वारा दृष्टि दोष अथवा पक्षी दोष कहा गया है, में महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करता है |
एक लोहे की छड़ी को गर्म किया जाता है और पानी से भरे एक तांबे या कांसे के पात्र को लकड़ी के प्लेटफार्म के उप्पर रख उसमें गर्म लोहे की छड़ी को पांच से छह बार पानी में डुबाया निकाला जाता है। ऐसा करने से पानी चार्ज हो जाता है व उपचार में प्रयोग करने के लिए तैयार हो जाता है | इस लौह चार्ज पानी का उपचार हेतु पीने के साथ साथ शरीर पर भी लेपन किया जाता है |
दूसरी विधि :
पुराने समय में किसी को चकत्ते वाली एलर्जी होने की स्थिति में ताम्बे से चार्ज वाले पानी से उपचार किया जाता था |आज भी कई परंपरावादी चिकित्सकों द्वारा उपचार की यह विधि प्रयोग में लाइ जा रही है | इसमें एक तांबे की छड़ी को गर्म कर नारियल के पानी में पांच से छह बार डुबाया निकाला जाता है। ऐसा करने से नारियल पानी चार्ज हो जाता है व उपचार में प्रयोग करने के लिए तैयार हो जाता है | इस ताम्बे से चार्ज नारियल पानी का उपचार में पीने के साथ साथ शरीर पर भी लेपन किया जाता है |
स्वर्ण उर्जित / चार्ज पानी
बनाने की विधि :
पानी को स्वर्ण / सोने से चार्ज करे के लिए किसी भी सोने से निर्मित आभूषण जैसे चेन, अंगूठी या सोने की पतली चादर या सोने की तार आदि का इस्तेमाल किया जा सकता है।
यदि शुद्ध सोने का उपयोग किया जाए तो उत्तम परिणाम मिलते हैं |
यदि आप शुद्ध सोने का तार प्रयोग कर रहे हैं तो इसे रक्तिम लाल होने तक गर्म करें व फिर पानी में 5-10 बार डुबाएं व निकालें | स्वर्ण उर्जित / चार्ज पानी तैयार है |
यदि शुद्ध सोने के तार के स्थान पर आप किसी स्वर्ण आभूषण का प्रयोग कर रहे हैं तो इस आभूषण को पानी में डाल दें व उबालें |
जब लिए गए पानी की माप चौथाई रह जाए तब आभूषण को पानी से निकाल लें, स्वर्ण उर्जित / चार्ज पानी तैयार है |
उपयोगिता : इम्युनो-मॉड्यूलेटर, एनर्जाइज़र, ब्लड प्यूरीफायर, कॉम्प्लेक्शन इन्हेन्सर, यूरोजेनेटिक विकारों की चिकित्सा में उपयोगी।
चिकित्सा : क्रोनिक विकार, कैंसर, कैचेक्सिया एवं संबंधित विकारों में, फ़ूड पोइज़निंग आदि में कारगर |
सावधानी : सोने या स्वर्ण के प्रति संवेदनशील या एलर्जी वाले लोग स्वर्ण उर्जित पानी या भस्म का प्रयोग न करें |
चांदी उर्जित / चार्ज पानी
बनाने की विधि :
पानी को चांदी से चार्ज करे के लिए किसी भी चांदी से निर्मित आभूषण जैसे चेन, अंगूठी या चांदी की पतली चादर या चांदी की तार आदि का इस्तेमाल किया जा सकता है।
यदि शुद्ध चांदी का उपयोग किया जाए तो उत्तम परिणाम मिलते हैं |
यदि आप शुद्ध चांदी का तार प्रयोग कर रहे हैं तो इसे रक्तिम लाल होने तक गर्म करें व फिर पानी में 5-10 बार डुबाएं व निकालें | चांदी उर्जित / चार्ज पानी तैयार है |
यदि शुद्ध चांदी के तार के स्थान पर आप किसी चांदी के आभूषण का प्रयोग कर रहे हैं तो इस आभूषण को पानी में डाल दें व उबालें |
जब लिए गए पानी की माप चौथाई रह जाए तब आभूषण को पानी से निकाल लें, चांदी उर्जित / चार्ज पानी तैयार है |
उपयोगिता : न्यूरो पेशी उत्तेजक, स्मृति बढ़ाने में |
चिकित्सा : मिर्गी, स्मृति हानि, अल्जाइमर रोग, मूड संबंधी विकार आदि में कारगर |
सावधानी : चांदी के प्रति संवेदनशील या एलर्जी वाले व्यक्ति चांदी उर्जित पानी या भस्म का प्रयोग न करें |
लौह उर्जित / चार्ज पानी
बनाने की विधि :
शुद्ध लोहे की छड़ को रक्तिम लाल होने तक गर्म करें व फिर पानी में 5-10 बार डुबाएं व निकालें | लोहे का उर्जित / चार्ज पानी तैयार है |
उपयोगिता : रिजुइनेटर, थकान से राहत मिलती है |
चिकित्सा : रक्त, रक्ताल्पता, थकान, मधुमेह, उच्च रक्तचाप आदि को प्रभावित करने वाले पित्त विकार की चिकित्सा में कारगर |
सावधानी : लोहे के प्रति संवेदनशील व्यक्ति उर्जित पानी का प्रयोग न करें | इसके सेवन से गंभीर कब्ज एवं पेशाब में जलन हो सकती हैं |
कॉपर उर्जित / चार्ज पानी
बनाने की विधि :
शुद्ध कॉपर की छड़ को रक्तिम लाल होने तक गर्म करें व फिर पानी में 5-10 बार डुबाएं व निकालें | कॉपर का उर्जित / चार्ज पानी तैयार है |
उपयोगिता : उत्तेजक, कृत्रिम, पाचन आदि में उपयोगी |
चिकित्सा : गंभीर त्वचा रोग, मलिग्नन्सी, मोटापा आदि|
सावधानी : कॉपर के प्रति संवेदनशील व्यक्ति उर्जित पानी का प्रयोग न करें | इसके सेवन से मूड में गड़बड़ी, तीव्र जीआईटी विकार, कब्ज आदि की संभावना रहती है |
नोट : सादा पानी के बजाय यदि नारियल का पानी प्रयोग किया जाए तो उत्तम परिणाम देता है।
इस रोग निवारण पद्दति के संबंध में बहुत से चिकत्सक यह कहते पाए गए हैं की यह प्रथा आधारहीन एवं अवैज्ञानिक है। सत्य तो यह है कि आयुर्वेद में इस पारंपरिक लोक औषधीय प्रथा पर महत्वपूर्ण अध्ययन व विश्लेषण कर निष्कर्ष दिया गया है जिसके अंतर्गत बताया गया है कि - पानी में धातुओं का उपयोग बहुत शक्तिशाली एवं प्रभावशाली है | यूरोप में इसे कोलाइडल पानी कहा जाता है। एक छोटा विधुतीय प्रवाह, शुद्ध धातु की एक छोटी छड़ी के माध्यम से पानी में पारित किया जाता है। कुछ समय पश्चात धातु के आयनों की बहुत छोटी मात्रा छड़ी से अलग हो होकर पानी में रह जाती है। इस धातु उर्जित पानी को छोटी मात्रा में पिया जाता है, दिन में एक या दो बार 15 मिलीलीटर।
चांदी का कोलाइडयन पानी सभी वायरस और बैक्टीरिया के संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक दवाओं की तुलना में अत्यधिक शक्तिशाली है। चांदी की धातु का विधुत चार्ज पानी या तो ऋणात्मक या धनात्मक आवेश लिए होता है | इस प्रक्रिया को समझने के लिए मान लीजिये की किसी व्यक्ति को दूषित पानी पिलाकर उसमें रोग जनित वायरस व बैक्टीरिया प्रवेशित किये जाते हैं, जिससे व्यक्ति को उदर सम्बंधित संक्रमण के लक्षण दिखाई देने लगते हैं | रोग के निदान हेतु दिए गए चांदी धातु उर्जित पानी में विपरीत चार्ज वाले धातु के आयन स्वतः ही रोग को आकर्षित करने लगते हैं व परस्पर चिपक जाते हैं, इस प्रकार रोग के प्रभाव और प्रसार को बेअसर कर देते हैं व संक्रमण मूत्र, मल या पसीने के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाता है। इस प्रकार रोगी रोग मुक्त हो जाता है |
उक्त तथ्य से सिद्ध हो जाता है की धातु उर्जित पानी से रोगों के निवारण की सम्पूर्ण प्रक्रिया वैज्ञानिक पद्दति पर आधारित है एवं साथ ही रोगों की चिकित्सा में प्रभावकारी भी है |
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