4 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में बृहस्पति ग्रह अष्टम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक गुप्त विधा एवं आध्यात्मिक प्रवृत्ति वाला होता है। धन में वृद्धि होती है एवं ऐसा जातक दीर्घ आयु की प्राप्ति करता है। ऐसे जातक के कार्यों में सर्वथा अवरोध आते रहते हैं जिस कारण जातक सुस्त, मनोबल से क्षीण एवं चिड़चिड़ा हो जाता है। परिवार में भी कई प्रकार की मुसीबतें सर उठाती रहती हैं। कठिनाइयों में अधिक वृद्धि होने पर ईश्वर में सच्चे मन से आस्था रखने पर आवश्यक लाभ मिलता है। स्वर्ण आभूषण धारण करने से लाभ प्राप्त होता है। ऐसा जातक अपने मित्रों के धन का दुरूपयोग करने वाला होता है।
जन्म कुण्डली में बृहस्पति ग्रह अष्टम भाव में स्थित होने से जातक स्वभाव से चरित्रवान, शालीन एवं विवेकी होता है। ऐसे जातक को अपने पिता से दूर रहना पड़ सकता है। ऐसा जातक अपने सम्पूर्ण परिवार पर आयी विपत्ति को अपने उप्पर लेने वाला होता है। जाने अनजाने किये गए कुछ गलत कार्यों के कारणवर्ष जीवन भर पछताना पड़ सकता है। जीवन में किसी बड़ी दुर्घटना से सामना होने की संभावना रहती है। ऐसा जातक यदि साधू हो जाए तो भी दुखी ही रहता है।
जन्म कुंडली के अष्टम भाव हेतु बृहस्पति ग्रह टोटके :
♦ स्वर्ण से निर्मित आभूषण धारण करें।
♦ साधू अथवा भिखारी को खाली हाथ न लौटाएं।
♦ मंदिर में घी, कपूर दान स्वरुप दें।
♦ हल्दी की गाँठ निरंतर आठ दिन तक मंदिर में चढ़ायें।
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