ज्योतिषशास्त्र : लाल किताब

बृहस्पति ग्रह सप्तम भाव लाल किताब कुंडली फलादेश टोटके

Sandeep Pulasttya

5 साल पूर्व

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जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में बृहस्पति ग्रह सप्तम भाव में स्थित होता है तो ऐसी  स्थिति में सम्बंधित जातक ज्योतिष शास्त्र का विद्वान होता है व इस विधा के बल पर धन भी अर्जित करता है। ऐसे जातक को कमीशन से सम्बंधित कार्य अथवा व्यापार करना शुभ रहता है। ऐसे जातक को लोहा एवं बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन मैटीरीअल से सम्बंधित वस्तुओं का व्यापार बहुत शुभदायी होता है।

जन्म कुण्डली में बृहस्पति ग्रह सप्तम भाव में स्थित होने के साथ यदि पाप गृह से धृष्ट है तो जातक अय्याश प्रवृत्ति वाला होता है। ऐसा जातक पत्नी के अतिरिक्त अन्य स्त्रियों से भी धन लाभ की प्राप्ति करता है। ऐसे जातक को अपने भाइयों से कष्ट मिलता है। बुरी संगती के कारण ऐसा जातक चोर अथवा लुटेरा भी बन सकता है। ऐसे जातक की पत्नी नौकरी करने वाली होती है जिस कारण घर में धन की बरकत भी होती है। ससुराल से भी ऐसे जातक को विभिन्न प्रकार के उपहार व सहायता प्राप्त होती रहती है। जीवन उतार चढ़ाव से असंतुलित एवं अव्यवस्थित रहेगा। ऐसा जातक पिता से अलग होकर किसी अन्य के साथ साझेदारी में व्यवसाय करता है। किसी घुमक्कड़ साधु की संगत से भाग्य में हानि होती है।

ऐसे जातक के पास धन का आगमन तो होता रहता है किन्तु वह कर्ज के बोज तले भी दबा रहता है। जीवन काल के चौंतीस वर्ष की आयु तक धन एवं संतान सुख नहीं मिल पाता है। ऐसा जातज उत्साही, आशावादी, न्याय अवं सत्य का पक्षधर होता है इसकी व्यापारिक छवि साफ़ सुथरी होती है | ऐसा जातक सभी को अपने जैसा निष्कपट व सरल मान हानि भी उठाता है | ऐसा जातक अपने भाई बहिनो में श्रेष्ठ व संपन्न होता है |

उच्च अथवा स्वराशिगत बृहस्पति पिता एवं ससुर से लाभ प्राप्त कराता है। ऐसे जातक को संतान सुख विलम्भ से मिलता है किन्तु संतान की उत्पत्ति के पश्चात से ही जातक के पिछले कष्ट दूर हो जाते हैं एवं जातक को स्त्री सुख के साथ साथ उत्तम स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है।  

 


जन्म कुंडली के सप्तम भाव हेतु बृहस्पति ग्रह टोटके :

♦   स्वर्ण से निर्मित कोई वस्तु अथवा स्वर्ण आभूषण पीले कपडे में बांधकर अपने निकट रखें।

♦   पीले वस्त्र धारण करने वाले साधू संतों से दूर रहे।

♦   घर में तुलसी का पौधा न लगाएं।

♦   देवी देवताओं की प्रतिमा घर के मंदिर अथवा कहीं और न लगाएं, केवल चित्र का उपयोग करें।

♦   शिवजी का पूजन अर्चन कर उन्हें प्रसन्न करें।

♦   घर के मंदिर में विष्णु भगवान को स्थापित न करें।

♦   गले में किसी प्रकार की कोई माला न धारण करें।
 

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