7 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में बृहस्पति ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक का सामजिक एवं आर्थिक स्तर अपने पिता के स्तर से भी उच्च रहता है। ऐसा जातक सरकारी नौकरी में उच्च पद पर आसीन रहते हुए अनेकों रूप से लाभान्वित होता है। सरकारी यात्राओं का परिणाम भी शुभ फलदायक रहता है। ऐसा जातक भूमिपति होता है एवं उसको उत्तम भवन एवं वाहन का सुख प्राप्त होता है। ऐसे जातक को शनि से सम्बंधित वस्तुओं के व्यापार से अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है। ऐसे जातक को सट्टे अथवा लाटरी से धन लाभ प्राप्त होने की सम्भावन होती है। भूमि में गड़े धन की प्राप्ति की भी पूर्ण संभावना होती है। ऐसा जातक जीवन की चौबीसवें वर्ष की आयु तक शिक्षा का अच्छा योग बना रहता है। जातक के घर में लक्ष्मी का वास होता है एवं ऐसा जातक जीवन में बहुत प्रसिद्धि प्राप्त करता है।
जन्म कुण्डली में बृहस्पति ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित होने से जातक बहुत ही भाग्यवान एवं चतुर होता है। ऐसे जातक को पत्नी, संतान एवं माता पिता का अच्छा सुख प्राप्त होता है। ऐसे जातक के जीवन काल के तेईस, चौंतीस, अड़तालीस एवं पचपनवें वर्ष सुखमयी व्यतीत होते हैं। ऐसा जातक सभी की सहायता करने में अग्रणी होता है एवं ऐसा करते समय अपनी हानि की भी परवाह नहीं करता। ऐसे कार्य करने से जातक को अंतः मन की शान्ति व प्रसन्नता प्राप्त होती है। ऐसे जातक को चाहिए कि वह पत्नी के अतरिक्त किसी अन्य स्त्री से सम्बन्ध न स्थापित करे अन्यथा लांछन लगने से सम्मान पर ठेस पहुँचने की पूर्ण संभावना रहती है।
जन्मपत्री के चतुर्थ भाव हेतु बृहस्पति ग्रह टोटके :
♦ बड़े बुजुर्ग व्यक्तियों की सेवा करें।
♦ कुल पहोरित का आशीर्वाद लें।
♦ मंदिर जाकर पूजन अर्चन करें।
♦ अंदरुनी कपडे लाल रंग के धारण करें अथवा कपड़ों पर लाल रंग का निशान लगाएं।
♦ पीपल का वृक्ष लगाएं एवं उसकी सिंचाई करें।
♦ खुले में स्नानं कदापि न करें।
♦ टूटे हुए खिलोने घर में न रखें।
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