6 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में बृहस्पति ग्रह षष्टम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक की उदर पूर्ती बिना किसी प्रयास के होती रहती है। ऐसे जातक को कोई काम करने की आवश्यकता नहीं महसूस होती। ऐसे जातक को बिना मांगे अथवा मेहनत किये ही बहुत सी वस्तुएं प्राप्त हो जाएँगी। ऐसे जातक के जीवन में बहुत अधिक ठाठ बाट तो नहीं रहते किन्तु जीवन में सुख शांति बनी रहती है। यूँ तो ऐसे जातक को पिता का सुख कम ही प्राप्त होता है किन्तु पिता यदि दीर्घ आयु हो जाएँ तो ऐसा जातक धनवान हो जाता है। ऐसे जातक को नगद राशि की कमी सालती रहती है। जीवन चक्र में चौंतीस वर्ष की आयु तक अधिक परेशानी झेलनी पड़ती है। वृद्धावस्था शुभ फलों की प्राप्ति के साथ सुखमयी रहती है। ऐसे जातक के मामा खुशहाल होते हैं व उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी होती है। चालीस वर्ष की आयु में मामा से संबंधों में खटास आ जाएगी।
जन्म कुण्डली में बृहस्पति ग्रह षष्टम भाव में स्थित होने से जातक स्वभाव से साधु होता है। ऐसे जातक के शत्रु होते ही नहीं है एवं जो बन भी जाते हैं वे नष्ट हो जाते हैं। ऐसा जातक मुफ्त की खाने वाला होता है। जातक विभिन्न प्रकार के रोगों से ग्रस्त रहने वाला होता है। ऐसे जातक को पत्नी का पूर्ण सुख, प्राप्त होता है। पत्नी की बेकद्री करने से व उसको प्रताड़ित एवं अपमानित करने से अशुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। अय्याशी करने के कारण जीवन में बदहाली आती है एवं इसका संतान पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे जातक को चाहिए कि वह पर स्त्री गमन से बचे एवं पूजा पाठ पर अधिक ध्यान केंद्रित करे।
जन्म कुंडली के षष्टम भाव हेतु बृहस्पति ग्रह टोटके :
♦ मुर्गों को पालें अथवा दाना डालें।
♦ संतान के साथ अथवा उनकी सलाह से व्यापार करें।
♦ बृहस्पति का दान मंदिर में दें।
♦ मंदिर के पुजारी को वस्त्र दें।
♦ कभी किसी से भीख न मांगे।
♦ स्वर्ण आभूषण धारण करें।
♦ पीपल के पेड़ को जल से सींचे।
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