5 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा ग्रह सप्तम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक ज्योतिष शास्त्र का ज्ञाता होता है। ऐसे जातक की विद्या अर्जन मध्यम स्तर की ही हो पाती है। ऐसा जातक पेशे से वकील अथवा सरकारी नौकरी में भी हो सकता है। ऐसा जातक नेतागिरी अथवा व्यापार के माध्यम से धनार्जन करने वाला होता है। ऐसा जातक स्वमं के प्रयासों से ही धनार्जन करता है। धन एवं आभूषण में वृद्धि होती रहेगी। रसायन, औषधि, खानपान, दुग्ध, प्रवाहशील वस्तुओं के व्यापार से धन अर्जन होता है | दूध एवं जल सम्बंधित व्यापार से संतान सुख में बाधा उत्पन्न होने की संभावना है, अतः इनसे सम्बंधित कार्य व्यापार न करें। ऐसा जातक कर्म से अत्यंत मेहनती होता है।
जन्म कुण्डली में चन्द्रमा ग्रह सप्तम भाव में उच्च राशि में स्थित होने से जातक स्वमं तो सुन्दर मोहक होता ही है साथ ही जातक को अत्यंत सुन्दर पत्नी का सुख भी प्राप्त होता है। चन्द्रमा के सप्तम भाव में नीच राशि में स्थित होने पर जातक की पत्नी को रुग्णता व चिढ़चिढ़ापन देकर जातक के दाम्पत्य जीवन के सुख में हानि करता है | जीवन के चौबीसवें वर्ष में विवाह न करें, ऐसा करने से संतान सुख में प्रतिकूलता उत्पन्न होती है। विवाह के पश्चात माता के सुख में ह्रास उत्पन्न हो सकता है। माता से विरोधाभास अशुभ फलदायक सिद्ध होता है। पाप पीड़ित चन्द्रमा होने से जीवनसाथी की आयु अलप होती है | ऐसे जातक का चरित्र सदैव संदिग्ध रहता है। ऐसा जातक आस्तिक एवं ईश्वर भक्त होता है व आध्यात्मिक फल श्रेष्ठ प्राप्त होता है। ऐसे जातक की सांसारिक मोह भंग की प्रबल संभावना रहती है।
जन्म कुंडली के सप्तम भाव हेतु चन्द्रमा ग्रह टोटके :
♦ सदैव सदाचार का पालन करें।
♦ आयु के चौबीसवें वर्ष से पूर्व विवाह न करें।
♦ दूध एवं जल के क्रय विक्रय से सम्बंधित व्यापार न करें।
♦ पुरुष जातक विवाह के पश्चात नवेली दुल्हन को घर लाने से पूर्व उसके वजन के बराबर अक्षत अपने घर में रखे।
♦ स्त्री ऋण का उपाय करें।
नोट : अपने जीवन से सम्बंधित जटिल एवं अनसुलझी समस्याओं का सटीक समाधान अथवा परामर्श ज्योतिषशास्त्र हॉरोस्कोप फॉर्म के माध्यम से अपनी समस्या भेजकर अब आप घर बैठे ही ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं |
© The content in this article consists copyright, please don't try to copy & paste it.