ज्योतिषशास्त्र : लाल किताब

चन्द्रमा ग्रह षष्टम भाव लालकिताब कुंडली फलादेश टोटके

Sandeep Pulasttya

6 साल पूर्व

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जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा ग्रह षष्टम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक योजना निर्माण में कुशल होता है। ऐसे जातक को जीवन में कभी भी निर्धनता का दंश नहीं झेलना पड़ता। ऐसे जातक की ससुराल पक्ष को हानि की संभावना रहती है। ऐसा जातक जब भी बिना सोचे समझे कोई कार्य करता है तो उसको किसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। मुक़दमे के झमेला का भी सामना करना पड़ सकता है जिसमें सफलता प्राप्ति की पूर्ण संभावना रहेगी। शत्रु सदैव भयग्रस्त रहते हैं। ऐसे जातक को कभी कोई गंभीर रोग आक्रांत नहीं कर पाता है। ननिहाल पक्ष से सहयोग प्राप्त होता रहेगा। समस्याओं के समाधान हेतु गंभीर चिंतन करना पड़ सकता है।

जन्म कुण्डली में चन्द्रमा ग्रह षष्टम भाव में स्थित होने से जातक को जन्म दायी माता के सुख से वंचित होकर सौतेली माता के साथ जीवन बीताना पड़ सकता है। ऐसा जातक सदैव यह ध्यान रखें की जीवन में कभी भी कोई सार्वजनिक पियाऊ न तो स्वमं ही बनवाए एवं न ही उसके निर्माण में किसी भी प्रकार से सहयोग करे, हाँ शमशान अथवा अस्पताल में पियाऊ लगवाना शुभ फल कारक रहता है। ऐसा करने से माता व संतान पर दुष्प्रभाव पड़ता है। ऐसे जातक के कन्या संतान अधिक होती हैं।

 

जन्म कुंडली के षष्टम भाव हेतु चन्द्रमा ग्रह टोटके :

♦   रात को दूध का सेवन न करें।

♦   ईश्वरीय ऋण का उपाय करें।

♦   बहिन के ऋण का उपाय करें।

♦   दूध, पानी अथवा अक्षत का दान न करें।

♦   अपनी बात किसी के सम्मुख उजागर न करें।

♦   पिता को अपने हाथों से दूध पिलायें।

♦   खरगोश का लालन पालन करें।

 

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