7 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा ग्रह तृतीय भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक दीर्घायु, परिश्रमी एवं साहसी होता है। ऐसे जातक के लिए प्रत्येक वर्ष का तीसरा माह श्रेष्ठ सिद्ध रहता है। गृहस्थ जीवन में ऐसा जातक धन दौलत का भंडारण करने वाला होता है। यदि ऐसा जातक साधू हो जाए तो ऋद्धि सिद्धि पर स्वामित्व प्राप्त करने वाला होता है। ईश्वर से सदैव ऐसे जातक को सहायता प्राप्त होती रहती है। ऐसा जातक मधुर वचन बोलने वाला होता है। चरित्र से उत्तम होता है। पति पत्नी का आपसी प्रेम व परस्पर सेवा भाव उत्तम फलदायक सिद्ध होती है। ऐसा जातक अपने पिता अथवा माता दोनों में से किसी एक के सुख से वंचित रहता है। ऐसा जातक अपने भाइयों से संपत्ति प्राप्त करता है।
जन्म कुण्डली में चन्द्रमा ग्रह तृतीय भाव में स्थित होने से जातक का चित्त शांत रहता है व मानसिक शक्ति उच्च स्तर की बानी रहती है। ऐसे जातक का चोरों से सदैव बचाव रहता है। परिवार के पुरुष सदस्यों की आय व रोजगार में वृद्धि होती है। परिवार की स्त्रियों को आदार सम्मान मिलता है। ऐसा जातक गरीबों पर दया करने वाला व उनकी सहायता करने वाला होता है। ऐसा जातक हाजिर जवाब होता है उसके पास हर प्रकार के सवाल का जवाब स्थित होता है।
जन्मपत्री के तृतीय भाव हेतु चन्द्रमा ग्रह टोटके :
♦ माँ दुर्गा का पूजन अर्चन करें।
♦ पुत्र के जन्म दिवस पर गेहूं, गुड़ व ताँबा दान करें।
♦ पुत्री के जन्म दिवस पर चावल, दूध एवं चांदी का दान करें।
♦ कन्यादान करें।
♦ बहिन के ऋण का उपाय करें।
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