8 साल पूर्व
किसी जातक की लाल किताब जन्म कुंडली विवेचना में अष्टम भाव क्या बतलाता है ? जाने
♦ लाल किताब में अष्टम भाव को मुसीबतों का घर कहा गया है।
♦ अष्टम भाव का स्वामी मंगल है एवं कारक ग्रह मंगल एवं शनि हैं।
♦ इस भाव में मंगल भावफल का ग्रह है।
♦ इस भाव में राशिफल का कोई ग्रह नहीं होता है।
♦ यह भाव जातक की पीठ एवं पाचन क्रिया का कारक भाव है।
♦ देह की वसा एवं लम्बे समय चलने वाले रोगों के सम्बन्ध में इसी भाव के माध्यम से ज्ञात किया जाता है।
♦ इस भाव के माध्यम से ही जातक की आयु सम्बंधित आंकलन एवं जीवन काल में घटित होने वाली दुर्घटनाओं का आंकलन किया जाता है।
♦ जातक की कर्मठता एवं प्रयत्नशीलता का ग्राफ यही भाव बताता है।
♦ जातक के दहेज़ की मात्रा का आंकलन इसी भाव से होता है।
♦ जातक को बीमा आदि से प्राप्त होने वाले लाभ के सम्बन्ध में इसी भाव के माध्यम से आंकलन किया जाता है।
♦ जातक के धन का उपयोग दूसरों के द्वारा कितना होगा इसी भाव से ज्ञात होता है।
♦ औषधियों से अधिकतम प्रभाव प्राप्त करने हेतु उन्हें घर में किस स्थान पर रखना उत्तम रहेगा, इसी भाव से ज्ञात होता है।
♦ जातक के घर के आस पड़ोस के वातावरण के सम्बन्ध में यही भाव बताता है।
♦ जातक के घर की दक्षिण दिशा वाली दीवार का के सम्बन्ध में विचार, घर की छत का विचार एवं अग्नि के स्थान का कारक अष्टम भाव ही है।
नोट : अपने जीवन से सम्बंधित जटिल एवं अनसुलझी समस्याओं का सटीक समाधान अथवा परामर्श ज्योतिषशास्त्र के हॉरोस्कोप फॉर्म के माध्यम से अपनी समस्या भेजकर अब आप घर बैठे ही ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं | अधिक जानकारी आप ज्योतिषशास्त्र के FAQ's पेज से प्राप्त कर सकते हैं |
© The content in this article consists copyright, please don't try to copy & paste it.