8 साल पूर्व
किसी जातक की लाल किताब जन्म कुंडली विवेचना में प्रथम भाव क्या बतलाता है ? जाने
♦ लाल किताब अनुसार जन्म कुण्डली में स्थित प्रथम भाव लग्न भाव होता है।
♦ प्रथम भाव का स्वामी ग्रह मंगल है एवं कारक ग्रह सूर्य है।
♦ जातक की जन्म कुण्डली का प्रथम भाव जातक के पूर्व जन्म में कृत उन कर्मों के आधार पर निर्धारित होता है जिनका फल उसे इस जन्म में भोगना है।
♦ लाल किताब अनुसार प्रथम भाव को तख़्त ऐ हजारी कहा गया है।
♦ यह भाव पूर्व दिशा से सम्बंधित है।
♦ प्रथम भाव से किसी जातक के शारारिक गठन, व्यक्तित्व एवं प्रकृति के सम्बन्ध में विवेचन किया जाता है।
♦ लाल किताब की धारणा अनुसार प्रथम भाव आत्मा एवं देह के सम्बन्ध में बताता है।
♦ प्रथम भाव से जातक के स्वास्थ्य, पराक्रम, कार्यक्षेत्र, परोपकार के सम्बन्ध में विवेचन किया जाता है।
♦ प्रथम भाव से जातक की आयु, शिक्षा एवं बुद्धि के सम्बन्ध में विवेचन किया जाता है।
♦ प्रथम भाव मस्तक एवं चेहरे के विषय में भी बताता है।
♦ जातक के श्रम के माध्यम से अर्जित धन एवं वाहन का कारक प्रथम भाव ही है।
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