ज्योतिषशास्त्र : लाल किताब

चतुर्थ भाव का लाल किताब कुंडली विवेचना में महत्व

Sandeep Pulasttya

8 साल पूर्व

fourth-house-redbook-horoscopelalkitab-kundli-chathurth-char-bhav-astrology-jyotishshastra-hd-image-png

 

किसी जातक की लाल किताब जन्म कुंडली विवेचना में अष्टम भाव क्या बतलाता है ? जाने

 

♦   लाल किताब अनुसार जन्म कुण्डली में स्थित चतुर्थ भाव का स्वामी एवं कारक ग्रह चन्द्रमा है।

♦   इस भाव में चन्द्रमा गृहफल का ग्रह है एवं मंगल, शुक्र व केतु राशिफल के ग्रह हैं।

♦   जातक को उसके भाग्य का कितना फल प्राप्त होगा इसका कारक चतुर्थ भाव ही होता है।

♦   यह भाव घर में जल स्रोत के स्थान एवं तिजोरी रखने के स्थान से सम्बंधित एवं कारक भी है।

♦   देह की तासीर, वात, कफ अथवा पित्त का कारक चतुर्थ भाव है।

♦   मन की शान्ति का कारक यही भाव है।

♦   लाल किताब अनुसार चतुर्थ भाव उत्तर दिशा का कारक भाव है।

♦   यह भाव साक्षात लक्ष्मी का निवास स्थान है व इस भाव को धन संग्रह के स्थान के रूप में देखा जाता है।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के चतुर्थ भाव में चन्द्रमा स्थित हो तो ऐसा जातक जितना धन खर्च करेगा उतनी ही उसके धन में वृद्धि होगी।

♦   यह भाव रोजगार के सम्बन्ध में अहम भूमिका निभाता है।

♦   कुण्डली के इस भाव में शुभ ग्रह स्थित होने पर सम्बंधित जातक कपडे, दूध एवं पानी के व्यवसाय से लाभ अर्जित करता है।

♦   दिल एवं छाती का कारक भाव यही है।

♦   उदर के अंदरुनी भागों का आंकलन भी चतुर्थ भाव के माध्यम से किया जाता है।

 

 नोट : अपने जीवन से सम्बंधित जटिल एवं अनसुलझी समस्याओं का सटीक समाधान अथवा परामर्श ज्योतिषशास्त्र के  हॉरोस्कोप फॉर्म के माध्यम से अपनी समस्या भेजकर अब आप घर बैठे ही ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं | अधिक जानकारी आप ज्योतिषशास्त्र के  FAQ's पेज से प्राप्त कर सकते हैं |

 

© The content in this article consists copyright, please don't try to copy & paste it.

सम्बंधित शास्त्र
हिट स्पॉट
राइजिंग स्पॉट
हॉट स्पॉट