8 साल पूर्व
किसी जातक की लाल किताब जन्म कुंडली विवेचना में अष्टम भाव क्या बतलाता है ? जाने
♦ लाल किताब अनुसार जन्म कुण्डली में स्थित चतुर्थ भाव का स्वामी एवं कारक ग्रह चन्द्रमा है।
♦ इस भाव में चन्द्रमा गृहफल का ग्रह है एवं मंगल, शुक्र व केतु राशिफल के ग्रह हैं।
♦ जातक को उसके भाग्य का कितना फल प्राप्त होगा इसका कारक चतुर्थ भाव ही होता है।
♦ यह भाव घर में जल स्रोत के स्थान एवं तिजोरी रखने के स्थान से सम्बंधित एवं कारक भी है।
♦ देह की तासीर, वात, कफ अथवा पित्त का कारक चतुर्थ भाव है।
♦ मन की शान्ति का कारक यही भाव है।
♦ लाल किताब अनुसार चतुर्थ भाव उत्तर दिशा का कारक भाव है।
♦ यह भाव साक्षात लक्ष्मी का निवास स्थान है व इस भाव को धन संग्रह के स्थान के रूप में देखा जाता है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली के चतुर्थ भाव में चन्द्रमा स्थित हो तो ऐसा जातक जितना धन खर्च करेगा उतनी ही उसके धन में वृद्धि होगी।
♦ यह भाव रोजगार के सम्बन्ध में अहम भूमिका निभाता है।
♦ कुण्डली के इस भाव में शुभ ग्रह स्थित होने पर सम्बंधित जातक कपडे, दूध एवं पानी के व्यवसाय से लाभ अर्जित करता है।
♦ दिल एवं छाती का कारक भाव यही है।
♦ उदर के अंदरुनी भागों का आंकलन भी चतुर्थ भाव के माध्यम से किया जाता है।
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