8 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में बृहस्पति ग्रह प्रथम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक उच्च स्तर का विद्धान, जगत गुरु अथवा उपदेशक हो सकता है। ऐसा जातक सरकार से सम्मान पाने वाला एवं बड़प्पन की भावना से युक्त होता है। ऐसा जातक उच्च स्तरीय विधा के माध्यम से अपनी आजीविका चालाने वाला होता है। शिक्षा काम होने पर भी धन की अल्पता कदापि नहीं रहेगी। ऐसा जातक अपने भीतर विधमान चमत्कारी गुणों के कारण प्रसिद्धि व सम्मान पाता है। ऐसा जातक उच्च धनागय वर्ग एवं शासन स्तर तक के व्यक्तिओं के बीच रहकर अपनी तीव्र एवं विलक्षण बुद्धि के बल पर सम्मान प्राप्त करता है। ऐसा जातक पैतृक रूप में प्राप्त धन संपत्ति एवं अपने भाग्य के बल पर धनी होता है। ऐसा जातक स्वमं के अर्जित धन से बड़े निवास का निर्माण करता है। ऐसा जातक अपने जीवन काल में बहुत अधिक संपत्ति एकत्र करता है। विवाह के पश्चात भाग्य उदय होता है एवं आर्थिक स्थिति और भी अधिक सुदृढ़ होनी प्रारम्भ हो जाती है।
जन्म कुण्डली में बृहस्पति ग्रह प्रथम भाव में स्थित होने से जातक का रंग गोरा, कद लम्बा एवं मस्तक चौड़ा होता है। ऐसे जातक को प्रथम संतान पुत्र के रूप में प्राप्त होने पर अशुभ फल प्राप्त होने की संभावना रहती है। ऐसे जातक के लिए गाय एवं स्त्री की सेवा अनुकूल फलदायक सिद्ध होती है। ज्यों ज्यों जातक की आयु में वृद्धि होती है त्यों त्यों जातक के सुख में भी वृद्धि होनी प्रारम्भ हो जाती है। ऐसे जातक को अप्रत्याशित घटनाओं से अत्यंत सतर्क रहने की आवश्यकता रहती है।
जन्मपत्री के प्रथम भाव हेतु बृहस्पति ग्रह टोटके :
♦ पितृ दोष के लिए उचित उपाय करें।
♦ किसी से भी दान अथवा उपहार स्वरुप कोई वस्तु न लें।
♦ बहते जल में नारियल बहाएं।
♦ स्वर्ण आभूषण धारण करें।
♦ केसर का तिलक मस्तक पर लगाएं।
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