3 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में केतु ग्रह नवम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक बलवान, वीर, भाग्यवान, भरोसेमंद एवं अपने स्वमं के प्रयासों व मेहनत से धनवान व बड़ा इंसान बनता है। ऐसा जातक अपने माता पिता के साथ साथ सम्पूर्ण खानदान को तारने वाला होता है। ऐसे जातक का समाज में अच्छा प्रभाव व रुतबा होता है। ऐसा जातक समाज सेवक अथवा कोई उच्च स्तर का अधिकारी होता है। ऐसे जातक की प्रगति निरंतर होती रहती है। जातक अपने जन्म स्थल से दूर रहकर कार्य करता है। रोजगार के लिए विदेश में रहकर जीवन यापन होने की पूर्ण संभावना होती है। जीवन काल में अपनी आयु के सोलह वर्ष व्यतीत होने के पश्चात केतु का शुभ प्रभाव प्रारम्भ होता है। धन संपत्ति एवं परिवार के प्रभाव की वृद्धि के लिए घर में स्वर्ण से निर्मित बिस्कुट अथवा ईंट रखें। पुत्र की सलाह से किये जाने वाले कार्यों में शुभ फल प्राप्त होता है एवं उसमें बरकत होती है।
जन्म कुण्डली में केतु ग्रह नवम भाव में स्थित होने से जातक की संतान दूरदर्शी होती है। ऐसे जातक की पुत्र संतान दीर्घायु होती हैं। ऐसा जातक अपने पिता का आज्ञाकारी होता है। जातक के जीवन की अड़तालीस वर्ष की आयु तक उसके पिता की स्थिति अच्छी रहती है। ऐसे जातक में अपने सामने वाले के मन की बात जान लेने की कला होती है। ऐसा जातक उपेक्षा का भी पात्र बन सकता है। जीवन में कभी शारीरिक कष्ट पड़े तो उस समय कानो में स्वर्ण निर्मित टॉप्स अथवा बाली धारण करें।
जन्म कुंडली के नवम भाव हेतु केतु ग्रह टोटके :
♦ कान छिदवाएँ व उसमें स्वर्ण निर्मित टॉप्स अथवा बाली धारण करें।
♦ स्वर्ण से निर्मित बिस्कुट अथवा ईंट घर में रखें।
♦ पिता एवं कुल पुरोहित की सेवा व सम्मान करें।
♦ गणेश जी का निरंतर पूजन अर्चन करें।
♦ घर में कुत्ता पालें।
♦ कुत्ते को कभी कष्ट न पहुंचाएं।
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