5 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में केतु ग्रह सप्तम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक समस्त प्रकार के सुख साधनो से सुखी होकर भी संताप करने वाला होता है। आजीविका का कोई न कोई साधन अवश्य ही उपलब्ध रहता है जिससे अच्छे स्तर का धनार्जन होता है। ऐसा जातक जीवन की चौबीस वर्ष की आयु से ही धन अर्जन करना प्रारम्भ कर देता है। धन धान्य में बरकत सदैव बनी रहती है। जीवन में कभी भी निराशा से दो चार नहीं होना पड़ेगा। संतान के जन्म के पश्चात ऐसे जातक की धन संपत्ति में वृद्धि होनी प्रारम्भ हो जाती है। अभिमान करना नाश का कारण बन सकता है।
जन्म कुण्डली में केतु ग्रह सप्तम भाव में स्थित होने से जातक अपने वचन का पक्का होता है, किन्तु दिए गए वचन का पालन न करना तो हानिकर होता है। ऐसा जातक शत्रुहंता होता है। ऐसे जातक को पत्नी के भाई बहिन के बराबर ही संताने प्राप्त होती है। ऐसे जातक की संतान बलवान होती है। ऐसे जातक का चित्त पत्नी एवं संतान के प्रति चिंतित रहता है। केतु के पाप प्रभाव में होने पर जातक अनेकों स्त्रियों से अनैतिक सम्बन्ध रखने वाला होता है जिस कारण जातक को अपयश की प्राप्ति होती है | जातक की पत्नी दुर्बल, रोगी एवं स्वभाव से कटु होती है | जातक नपुंसकता से भी ग्रस्त हो सकता है | ऐसा जातक आलसी किन्तु पर्यटन प्रेमी होता है | जीवन की चौंतीस वर्ष की आयु तक समय कष्टप्रद रहता है तत्पश्चात समय परिवर्तित होकर शुभ परिणाम देता है।
जन्म कुंडली के सप्तम भाव हेतु केतु ग्रह टोटके :
♦ चार चार नीम्बू निरंतर चार दिन तक बहते जल में प्रवाहित करें।
♦ किसी के साथ गाली गलौंच न करें।
♦ किसी के साथ झूंठा वादा न करें।
♦ कभी घमंड न करें।
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