7 साल पूर्व
लाल किताब अनुसार किसी जातक की जन्म कुण्डली में संतानहीनता योग के सम्बन्ध में ग्रहों को आधार मानकर विवेचित किया गया है जिसका विवरण निम्नवत प्रस्तुत है :
संतानहीनता योग की लाल किताब पहचान विधि :
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली के पंचम भाव में सूर्य, चन्द्रमा, गुरु, राहु अथवा केतु अपने शत्रु ग्रह के साथ युति में स्थित होते हैं तब ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक को संतान हानि होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली के प्रथम भाव में शुक्र एवं केतु एक साथ युति में स्थित होते हैं एवं मंगल ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित होता है तब ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक को संतान हानि होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली के पंचम भाव में शनि ग्रह एवं नवम भाव में मंगल ग्रह स्थित होते हैं तब ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक को मंगलवार के दिन उत्पन्न संतान जीवित रहती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली के पंचम भाव में केतु ग्रह एवं नवम भाव में राहु ग्रह स्थित होते हैं तब ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक को बृहस्पतिवार के दिन उत्पन्न संतान जीवित रहती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली के पंचम भाव में राहु ग्रह एवं नवम भाव में केतु ग्रह स्थित होते हैं तब ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक को रविवार के दिन उत्पन्न संतान जीवित रहती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली के तृतीय, पंचम एवं नवम भाव में गुरु ग्रह अथवा सूर्य ग्रह के शत्रु ग्रह स्थित हों तब ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक को संतान हानि होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली के पंचम भाव में तीनों पपक ग्रहों से कोई एक अथवा सभी तीनों ग्रह स्थित हों चतुर्थ भाव में मंगल ग्रह स्थित हों तब ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक को संतान हानि होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली के पंचम भाव में शुक्र ग्रह स्थित हों एवं नवम भाव में बुध ग्रह स्थित हो तब ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक को पुत्र संतान की हानि होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली के षष्टम भाव में सूर्य ग्रह स्थित हो मंगल ग्रह दशम अथवा एकादश भाव में स्थित हो तब ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक को संतान हानि होती है।
♦ किसी जातक की जन्म कुण्डली के चतुर्थ भाव में मंगल ग्रह स्थित हो अथवा बुध एवं राहु अथवा शुक्र एवं केतु एक साथ युति में प्रथम भाव में स्थित हों अथवा कोई पापक ग्रह नवम भाव में स्थित हो तब ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक को संतान हानि होती है।
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