ज्योतिषशास्त्र : लाल किताब

लाल किताब अनुसार आपके कितने पति अथवा पत्नी एवं प्रेमी अथवा प्रेमिकाएं होंगे?

Sandeep Pulasttya

8 साल पूर्व

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जातकों के अंतर्मन में प्रायः जिज्ञासा जाग्रत होती है की उनकी कुण्डली के भाग्यफल अनुसार कितने विवाहों का योग है। इस जिज्ञासा को दृष्टिगत रख हम निम्न कुछ योगों का विवेचन कर रहे हैं जो बहु विवाह योग बनाते है। ये योग तभी सही सिद्ध होते हैं जब कोई नर ग्रह एवं स्त्री ग्रह अपनी अपनी राशि में न स्थित हों एवं न ही उनकी दृष्टि एक दूसरे पर पड़ रही हो एवं बुध व शुक्र ग्रह भी एक दूसरे से किसी भी रूप में प्रभावित न हों।

किसी जातक की जन्म कुण्डली में शुक्र ग्रह जब द्वित्य, चतुर्थ एवं सप्तम भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक के बहु विवाह होते हैं। बहु विवाह न होने की स्थिति में सम्बंधित जातक के अनेकों स्त्रियों से पत्नी तुल्य सम्बन्ध भी हो सकते हैं।

किसी जातक की जन्म कुण्डली में बद मंगल एवं शुक्र के मध्य जितने भाव ग्रह रिक्त हों, उस जातक के उतनी ही पत्नियां होने के योग होते है। यहां अनेकों पत्नियां न होने की स्थिति में सम्बंधित जातक के अनेकों स्त्रियों से पत्नी तुल्य सम्बन्ध भी हो सकते हैं।

जन्म कुण्डली में बुध एवं शुक्र अलग अलग भाव में स्थित हों एवं बुध ग्रह एकल रूप में किसी नर ग्रह वाले भाव जैसे प्रथम, पंचम, नवम अथवा द्वादश में स्थित हों तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित नारी के बहु विवाह के योग बनते हैं। यहां अनेकों विवाह न होने की स्थिति में सम्बंधित नारी के अनेकों पुरुषों से पति तुल्य सम्बन्ध भी हो सकते हैं।

 

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