7 साल पूर्व
आपकी कुण्डली में मात्र ऋण दोष क्यों स्थित है ?
किसी जातक की जन्म कुण्डली में मात्र ऋण दोष उत्पन्न होने का लाल किताब अनुसार मुख्य कारण संतान के उत्पन्न होने के पश्चात माता की सही प्रकार से देखभाल न करना अथवा उसकी उपेक्षा करना अथवा माता को किन्ही प्रकार से कष्ट पहुँचना होता है।
किसी जातक की जन्म कुण्डली में मात्र ऋण के स्थित होने के लक्षणों को लाल किताब अनुसार ग्रहों की स्थिति देखकर निम्न प्रकार से ज्ञात किया जा सकता है :
यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध ग्रह प्रथम भाव अथवा अष्टम भाव में स्थित हो एवं गुरु ग्रह नवम भाव में स्थित हो तो लाल किताब अनुसार जातक की कुण्डली मात्र ऋण दोष से पीड़ित हैं।
यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित हो एवं चन्द्रमा ग्रह नवम भाव में स्थित हो तो लाल किताब अनुसार जातक की कुण्डली मात्र ऋण दोष से पीड़ित हैं।
यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध ग्रह द्वितीय भाव अथवा सप्तम भाव में स्थित हो एवं शुक्र ग्रह नवम भाव में स्थित हो तो लाल किताब अनुसार जातक की कुण्डली मात्र ऋण दोष से पीड़ित हैं।
यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध ग्रह तृतीय भाव में स्थित हो एवं राहु ग्रह नवम भाव में स्थित हो तो लाल किताब अनुसार जातक की कुण्डली मात्र ऋण दोष से पीड़ित हैं।
यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध ग्रह पंचम भाव में स्थित हो एवं सूर्य ग्रह नवम भाव में स्थित हो तो लाल किताब अनुसार जातक की कुण्डली मात्र ऋण दोष से पीड़ित हैं।
यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध ग्रह षष्टम भाव में स्थित हो एवं केतु ग्रह नवम भाव में स्थित हो तो लाल किताब अनुसार जातक की कुण्डली मात्र ऋण दोष से पीड़ित हैं।
यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध ग्रह दशम भाव अथवा एकादश भाव में स्थित हो एवं शनि ग्रह नवम भाव में स्थित हो तो लाल किताब अनुसार जातक की कुण्डली मात्र ऋण दोष से पीड़ित हैं।
यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध ग्रह द्वादश भाव में स्थित हो एवं गुरु ग्रह नवम भाव में स्थित हो तो लाल किताब अनुसार जातक की कुण्डली मात्र ऋण दोष से पीड़ित हैं।
यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध ग्रह अथवा शुक्र ग्रह अथवा शनि ग्रह पंचम भाव में स्थित हो एवं चन्द्रमा ग्रह पंचम भाव के अतरिक्त अन्य किसी भी भाव में स्थित हो तो लाल किताब अनुसार जातक की कुण्डली मात्र ऋण दोष से पीड़ित हैं।
यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में गुरु ग्रह केंद्र भाव अर्थात ( प्रथम अथवा चतुर्थ अथवा सप्तम अथवा दशम भाव ) में स्थित हो एवं बुध ग्रह नवम भाव में स्थित हो तो लाल किताब अनुसार जातक की कुण्डली मात्र ऋण दोष से पीड़ित हैं।
यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में गुरु ग्रह केंद्र भाव अर्थात ( प्रथम अथवा चतुर्थ अथवा सप्तम अथवा दशम भाव ) में स्थित हो एवं शनि ग्रह द्वितीय भाव में स्थित हो तो लाल किताब अनुसार जातक की कुण्डली मात्र ऋण दोष से पीड़ित हैं।
यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में गुरु ग्रह केंद्र भाव अर्थात ( प्रथम अथवा चतुर्थ अथवा सप्तम अथवा दशम भाव ) में स्थित हो एवं शुक्र ग्रह पंचम भाव में स्थित हो तो लाल किताब अनुसार जातक की कुण्डली मात्र ऋण दोष से पीड़ित हैं।
यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में गुरु ग्रह केंद्र भाव अर्थात ( प्रथम अथवा चतुर्थ अथवा सप्तम अथवा दशम भाव ) में स्थित हो एवं राहु ग्रह द्वादश भाव में स्थित हो तो लाल किताब अनुसार जातक की कुण्डली मात्र ऋण दोष से पीड़ित हैं।
यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में गुरु ग्रह केंद्र भाव अर्थात ( प्रथम अथवा चतुर्थ अथवा सप्तम अथवा दशम भाव ) में स्थित हो एवं बुध अथवा शुक्र ग्रह तृतीय अथवा षष्टम भाव में स्थित हो तो लाल किताब अनुसार जातक की कुण्डली मात्र ऋण दोष से पीड़ित हैं।
यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में गुरु ग्रह केंद्र भाव अर्थात ( प्रथम अथवा चतुर्थ अथवा सप्तम अथवा दशम भाव ) में स्थित हो एवं शनि ग्रह तृतीय अथवा षष्टम भाव में स्थित हो तो लाल किताब अनुसार जातक की कुण्डली मात्र ऋण दोष से पीड़ित हैं।
यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में शुक्र अथवा राहु अथवा केतु तृतीय भाव में स्थित हो एवं सूर्य ग्रह प्रथम अथवा एकादश भाव में न स्थित हो तो लाल किताब अनुसार जातक की कुण्डली मात्र ऋण दोष से पीड़ित हैं।
कुण्डली में मात्र ऋण दोष स्थित होने की लक्षणों के माध्यम से पहचान :
किसी जातक की कुण्डली में मात्र ऋण दोष स्थित है अथवा नहीं इसकी पहचान जातक के साथ घटित होने वाली दैनिक क्रियाकलापों के आधार पर की जानी संभव है -
♦ लाल किताब के अनुसार यदि किसी जातक के घर में स्थित पालतू पशु की अकस्मात मृत्यु हो जाती है
♦ जातक की तीव्र गति से संपत्ति नष्ट होने लगती है
♦ जातक का धन अकस्मात नष्ट हो जाए या अनावश्यक कार्यों में व्यर्थ व्यय होने लगे
♦ जातक की शिक्षा में अवरोध उत्पन्न होने लगें या शिक्षा मध्य में ही अधूरी छूट जाए अथवा
♦ जातक की अनुभूति शक्ति में ह्रास उत्पन्न हो जाए
♦ घर में स्थित भूमिगत जल स्रोत सूख जाए
♦ कोई जातक की सहायता के लिए प्रयास करे तो उसका भी अहित हो जाए तो ऐसे लक्षणों के आधार पर जातक की कुण्डली में मात्र ऋण दोष स्थित होने की पुष्टि होती है।
दोष निवारण हेतु लाल किताब के टोटके :
♦ घर के बड़े बुजुर्ग व्यक्तियों के प्रतिदिन नियमित रूप से चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करें।
♦ परिवार के सभी सदस्यों से बराबर मात्र में चांदी लेकर एकत्र करें व उसे बहते जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से जातक की जन्म कुण्डली में स्थित मात्र ऋण दोष का निवारण हो जाता है।
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