ज्योतिषशास्त्र : लाल किताब

लाल किताब कुंडली के चतुर्थ भाव में स्थित मंगल ग्रह का फलादेश एवं टोटके

Sandeep Pulasttya

7 साल पूर्व

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जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में मंगल ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक उत्तम भवन एवं वाहन का सुख भोगता है। ऐसे जातक को पैतृक घर से दूर रहना सुखकर रहता है। ऐसा जातक दूसरों को सलाह एवं नसीहत देने वाला होता है। दूसरो की शरारत का जवाब देने की लिए ऐसा जातक सदैव अग्रणी होता है। ऐसे जातक के मन में उत्तेजना सदैव बनी रहती है। ऐसा जातक स्वभाव से शांत होता है किन्तु यदि क्रोध में आ जाए तो कुछ भी कर गुजरता है।    

जन्म कुण्डली में मंगल ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित होने से जातक अपने माता पिता सास अथवा पत्नी की मृत्यु का कारण बन सकता है। ऐसे जातक से साधारण व्यक्ति भी बैर भाव रखता है। ननिहाल एवं ससुराल से शुभ प्रभाव प्राप्त नहीं होता है। सुख प्राप्ति में बाधा आये ऐसी संभावना है। संतान प्राप्ति में बाधा आने की पूर्ण संभावना है। माता का स्नेह प्राप्त होगा। ऐसा जातक अपने परिवार की सदैव सहायता करने में अग्रणी रहता है। ऐसे जातक को आकस्मिक दुर्घटना से सचेत रहने की आवश्यकता होती है। 

  

जन्मपत्री के चतुर्थ भाव हेतु मंगल ग्रह टोटके :

♦   काने, अपंग व काले वर्ण के व्यक्तियों से बचें।

♦   शहद व चीनी से सम्बंधित कारोबार न करें।

♦   माता, साधु व वानरों की सेवा करें।

♦   अक्षत दूध से धोकर सात मंगलवार बहते जल में प्रवाहित करें।

♦   नित्य प्रातः दांतों को जल से साफ़ करें।

♦   अपंग व्यक्तियों से दूर रहे।

 

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