6 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में षष्टम ग्रह नवम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक लेखन कला में दक्ष होता है। ऐसे जातक को पढ़ाई लिखाई से सम्बंधित कार्य करने से, गायन विधा के माध्यम से एवं भाषण अथवा प्रवचन के माध्यम से धनार्जन करना शुभ फलदायक रहता है। ऐसा जातक नौकरी में सम्मानित एवं उच्च पद पर आसीन होने वाला होता है। ऐसे जातक के भाइयों को हानि उठानी पड़ सकती है जिस कारण उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है। ऐसे जातक यदि अपने भाइयों की आर्थिक सहायता करे तो जातक एवं उसके भाइयों के लिए शुभ फलदायक रहता है। ऐसे जातक को अचानक हानि उठानी पड़ सकती है। ऐसे जातक की मनोवृत्ति साफ़ सुथरी नहीं होती। ऐसे जातक का भाग्य उसका साथ देता है एवं भाग्योन्नति होती रहती है।
जन्म कुण्डली में मंगल ग्रह षष्टम भाव में स्थित होने से जातक को अधिक आयु में संतान का सुख प्राप्त हो पाता है। वस्तुतः संतान का सुख कम ही प्राप्त होता है। पुत्र के जन्म दिवस पर सबको नमकीन भोज्य पदार्थ ही खिलाएं तो शुभ रहता है। जातक को माता का सुख कम प्राप्त हो ऐसी पूर्ण संभावना होती है। ऐसे जातक के शत्रु कम एवं मित्र अधिक होते हैं। वैसे शत्रु हों भी तो अधिक हानि नहीं कर पाते। ऐसा जातक साधु व धार्मिक विचारों वाला होता है। दूसरों पर आयी विपत्ति व कष्ट स्वमं के उप्पर लेने वाला होता है। ऐसा जातक धर्म का पालन करने वाला एवं ईश्वर में आस्थावान होता है। ऐसा जातक प्रसन्न चित्त रहने वाला किन्तु शारीरिक दृष्टि से कमजोर होता है।
जन्म कुंडली के षष्टम भाव हेतु मंगल ग्रह टोटके :
♦ पुत्र के जन्म दिवस पर प्रतिवर्ष नमक का दान करें व मेहमानो को नमकीन भोजन ही दें।
♦ अमावस्या को धर्मस्थान में खीर अथवा मीठा भोजन दें।
♦ शनि के उपाय करें।
♦ ईश्वरीय ऋण का उपाय करें।
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