7 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में केतु ग्रह द्वितीय भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक सरकारी सेवारत एवं बड़ा घूसखोर होता है। ऐसे जातक का भरण पोषण धर्मस्थल से प्राप्त सामग्री से होता है। मुफ्त की वस्तुएं सदैव प्राप्त होती रहेंगी व इन्हे स्वीकार करने में कोई संकोच भी नहीं होगा। पैतृक संपत्ति के योग न के बराबर ही हैं। युवावस्था बिना किसी परेशानी के व्यतीत होगी व किसी चीज की कमी भी महसूस नहीं होगी। ऐसे जातक का स्वमं अर्जित किया हुआ धन नष्ट हो सकता है। चोरी से सचेत रहे। आर्थिक सुख में ह्रास होने की संभावना होती है।
जन्म कुण्डली में केतु ग्रह द्वितीय भाव में स्थित होने से जातक दीर्घ आयु होता है एवं उसको सम्पूर्ण मान एवं प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। ऐसे जातक की पत्नी रूपवती एवं सुशील होती है। गृहस्थ जीवन भली प्रकार से चलता रहता है किन्तु पारिवारिक सुख में ह्रास उत्पन्न हो जाता है। ससुराल पक्ष का भरपूर सहयोग एवं सुख प्राप्त होता है। माता का सुख प्राप्त होता है एवं उसका स्नेह भी सदैव बना रहता है। ऐसा जातक अत्यंत चतुर स्वभाव का होता है सही मायनो में कहा जाए तो वह चतुरों में भी चतुर होता है। ऐसे जातक को लड़ाई झगड़ो से हानि होने की पूर्ण संभावना रहती है, कानूनी कार्यवाही भी झेलनी पड़ सकती है। किन्तु कारागार हो ऐसी संभावना न के बराबर ही होती है। ऐसे जातक को उदर एवं आंत सम्बंधित रोग आक्रांत किये रहते हैं।
केतु : जन्मपत्री के द्वितीय भाव हेतु टोटके
♦ नौ वर्ष तक आयु वाली कन्याओं की सेवा करें।
♦ चरित्र स्वच्छ एवं निर्मल रखें।
♦ सदैव सदाचार का पालन करें।
♦ बंदरों को गुड खिलाएं।
♦ स्वर्ण आभूषण धारण करें।
♦ पत्नी का अपमान न करें।
♦ मस्तक पर केसर का तिलक लगाएं।
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