7 साल पूर्व
लाल किताब अनुसार किसी जातक की जन्म कुण्डली में नपुंसक योग एवं बंध्या योगों के सम्बन्ध में ग्रहों को आधार मानकर विवेचित किया गया है जिसका विवरण निम्नवत प्रस्तुत है :
नपुंसक योग की लाल किताब पहचान विधि :
किसी जातक की जन्म कुण्डली के चतुर्थ भाव में सूर्य एवं पंचम भाव में शुक्र ग्रह स्थित हो, शनि एवं राहु ग्रह कुण्डली के किसी भी भाव में चन्द्रमा से पूर्व के भावों में स्थित हों तब ऐसी ग्रह दशा स्थिति में जातक की कुण्डली में नपुंसक योग लगता है।
बंध्या योग की लाल किताब पहचान विधि :
किसी कन्या की जन्म कुण्डली के द्वितीय भाव में शुक्र ग्रह स्थित हो, षष्टम भाव में मंगल एवं बुध ग्रह युति में स्थित हों किन्तु गुरु एवं शनि ग्रह से किसी भी रुप अथवा प्रकार से सम्बंधित न हों, अष्टम भाव ग्रह से मुक्त हो एवं उस पर किसी ग्रह की दृष्टि भी न पड़ रही हो तब ऐसी ग्रह दशा स्थिति में कन्या सर्व गुण संपन्न होते हुए भी बंध्या योग से ग्रसित होती है।
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