6 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में राहु ग्रह षष्टम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक धनवान, भाग्यवान, बहादुर, निडर एवं शत्रुहंता होता है। ऐसा जातक अचानक से अपनी धन संपत्ति को नष्ट कर दे अथवा लुटा दे इसकी पूर्ण संभावना होती है। बड़े भाई अथवा बहिन से झगड़ा करे तो स्वमं ही बर्बाद हो जाता है। जीवन में रोग एवं अग्नि के कारण भी धन नष्ट होने की संभावना होती है। ऐसा जातक स्वमं ही शक्तिशाली होता है। जातक को जीवन में ऐशो आराम की सभी मूल्यवान वस्तुएं प्राप्त होती हैं। ऐसा जातक विदेश भ्रमण करता है।
जन्म कुण्डली में राहु ग्रह षष्टम भाव में स्थित होने से जातक दूसरे व्यक्तियों की मदद करने वाला होता है। अहंकार की भावना अधिक होने के कारण ऐसा जातक यदा कदा अपने हितैषियों के भी नाश पर आतुर हो जाता है। ऐसा जातक आवारा एवं अपराधी किस्म के लोगो की संगत करने वाला होता है। ऐसे जातक पर किसी मुसीबत का असर अधिक समय तक नहीं रह पाता है। राहु ग्रह ऐसे जातक के मान सम्मान व धर्म कर्म पर बुरा प्रभाव डालता है। नीच स्तर की स्त्री की संगत ऐसे जातक को भी नीच बना देती है। भाई का अहित करने से जातक की संतान पर अशुभ प्रभाव पड़ता है। ऐसे जातक के विचार एवं दिमागी स्तर उच्च दर्जे का होता है।
जन्म कुंडली के षष्टम भाव हेतु राहु ग्रह टोटके :
♦ सदैव रांगे की गोलियां अपने निकट रखें।
♦ सरस्वती जी पर नीले रंग के पुष्प 6 दिन तक अर्पित करें।
♦ काले रंग का कुत्ता पालें।
♦ घर व आफिस की खिड़कियों पर काले शीशे लगवाएं।
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