8 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध ग्रह प्रथम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक तीव्र बुद्धि का स्वामी होता है व अपनी स्वच्छ एवं साफ़ सोच व कर्मों से समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करता है। ऐसा जातक व्यवसाय से धन अर्जित करता है। ऐसा जातक शिल्पकला, ज्योतिष शास्त्र एवं दस्तकारी के कार्यों में रूचिकर व अच्छा ज्ञाता भी होता है। ऐसा जातक धीरे धीरे व बहुत सोच समझ कर बात करने वाला होता है। ऐसे जातक के मुख से निकले बुरे वचनो का प्रभाव जरूर पड़ता है। ऐसा जातक कंजूस प्रवृत्ति का होता है जो की अनुकूल परिणाम नहीं देती।
बुध ग्रह जन्म कुण्डली में प्रथम भाव में स्थित होने से सम्बंधित जातक अत्यंत कल्पनाशील होता है अर्थात वह अधिकांशतः कल्पना जगत में लीन रहने वाला होता है। समस्त व्यक्तियों को अपनी बातों से अपना बना लेने की कला इसमें विधमान रहती है। ऐसा जातक जिस व्यक्ति के समर्थन में खड़ा हो जाता है तो वह व्यक्ति और भी अधिक शक्तिशाली हो जाता है। ऐसा जातक द्विस्वभावी एवं अनेक रूपों वाला होता है। ऐसा जातक स्वार्थी प्रवृत्ति वाला एवं स्व प्रशंसा की कामना रखने वाला एवं दूसरों की परवाह न करने वाला होता है। ऐसा जातक अपने स्वभाव के कारण दो शत्रुओं के बीच रहकर भी सुरक्षित रहता है। ऐसा जातक काम कला में प्रवीण होता है। ऐसे जातक की संतान उत्पत्ति में व्यवधान आते हैं एवं पहली संतान कन्या होती है।
बुध : जन्मपत्री के प्रथम भाव हेतु लाल किताब टोटके :
♦ ताँबे का छेकल पैसा बहते जल में प्रवाहित करें।
♦ पितृ ऋण का उपाय करें।
♦ मांस मदिरा का सेवन न करें।
♦ मत्स्य शिकार न करें।
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