ज्योतिषशास्त्र : लाल किताब

द्वितीय भाव स्थित बुध ग्रह लाल किताब कुंडली फलादेश एवं टोटके

Sandeep Pulasttya

8 साल पूर्व

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जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध ग्रह द्वितीय भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक स्वमं अपने भाग्य का निर्माता होता है। वह अपनी मेहनत से धन अर्जित कर धनी बनता है। ऐसा जातक अधिक बड़ा धनवान तो नहीं होता है किन्तु धन की अल्पता भी नहीं रहती है। आय अच्छी होती है। उच्च पदासीन व्यक्तियों से अपेक्षित लाभ प्राप्त होता है। ऐसे जातक के संपर्क में आने वाला लाभान्वित होता है। ऐसा जातक स्वभाव से ही स्वार्थी होता है। ऐसा जातक अस्थिर विचारों वाला होता है व समय अनुसार विचार बदल लेने की प्रवृत्ति विधमान होती है। ऐसा जातक अपने जन्म स्थल से दूर जाकर निवास करता है व जीवन में यात्राएं बहुत करता है। ऐसा जातक अल्प ज्ञानी किन्तु स्वाभिमानी होता है।

ऐसे जातक की पत्नी निर्धन परिवार से होती है। ऐसा जातक स्वभाव से पत्नी से प्रेम भाव रखने वाला या यूँ कहें कि पत्नी भक्त होता है। ऐसा जातक, संभावित रूप से पुत्र सुख से वंचित ही रहता है। कन्या संतान से सुख प्राप्त होता है। पिता सुख की अल्पता भी संभावित रहती है। ऐसा जातक हाजिर जवाब होता है। ऐसे जातक को लांछन का दंश झेलना पड़ सकता है जिससे बदनामी भी हो सकती है। ऐसा जातक मांसाहारी होता है।

 

 

बुध : जन्मपत्री के द्वितीय भाव हेतु टोटके

♦   पितृ ऋण का उपाय करें।

♦   नाक छिदवाकर उसमें सोलह दिनों तक चांदी धारण करें।

♦   किसी साधू अथवा फ़कीर से कोई धागा, ताबीज, भभूत अथवा रत्न न लें।

♦   मंदिर में दूध व अक्षत का दान करें।

♦   तोता व बकरी घर में न पालें।

 

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