ज्योतिषशास्त्र : लाल किताब

लाल किताब कुंडली के द्वितीय भाव में स्थित सूर्य ग्रह का फलादेश एवं उपाय

Sandeep Pulasttya

7 साल पूर्व

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जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में सूर्य ग्रह द्वितीय भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक स्वमं अपने परिश्रम व बल पर धन अर्जित करता है। ऐसा जातक स्वमं तो उन्नति करता ही है साथ ही साथ दूसरों की उन्नति का कारक भी बनता है। जातक हाथों के हुनर से अपना रोजगार चलाता है एवं ऐसे कार्य में बरकत भी होती है। जातक को उत्तम घर एवं उत्तम वाहन का सुख प्राप्त होता है। ऐसा जातक जीवन के समस्त सुखो का भोग प्राप्त करता है। जातक स्वभाव से दानी होता है। जातक धर्म कर्म में रूचि व विश्वास रखता है एवं ऐसे जातक के हाथों किसी मंदिर अथवा धर्मशाला का निर्माण अवश्य ही होता है। ऐसा जातक विश्वसनीय होता है। जातक की जन्म कुंडली में यदि अष्टम भाव ग्रह मुक्त है तो ऐसी स्थिति में जातक को द्धितीय भाव से सम्बंधित वस्तुओं का उत्तम लाभ प्राप्त होता है।

जन्म कुण्डली में सूर्य ग्रह द्वितीय भाव में स्थित होने से जातक स्त्री पक्ष पर भारी होता है। कुण्डली अनुसार, सूर्य के नीच होने की स्थिति में पत्नी, माता, बहिन, बुआ अथवा पुत्री पर दुष्प्रभाव पड़ता है। पत्नी के कारण परिवार में कलह होती है। जातक के परिवार में कन्या जातकों की संख्या अल्प होती है। वस्तुतः पारिवारिक जीवन खुशमय एवं सुखमय रहता है। 

 

 

जन्मपत्री के द्वितीय भाव हेतु सूर्य ग्रह टोटके :

♦    नारियल, अखरोट व बादाम मंदिर में दान स्वरुप दें।

♦    स्त्री ऋण के उपाय करें।

♦    गेहूं, बाजरा किसी से भी दान में न लें।

♦    चावल, चांदी, दूध किसी से भी दान में न लें।

♦    पैतृक घर में जल स्रोत का निर्माण कराएं।

 

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