8 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में सूर्य ग्रह प्रथम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक मजबूत एवं अपने इरादों पर अडिग रहने वाला होता है। ऐसा जातक अत्यंत ही परिश्रमी, प्रतापी, स्वभाव से बहुत आक्रामक एवं शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला होता है। जातक उप्पर से मधुर वचन बोलने वाल किन्तु भीतर से अत्यंत ही कठोर होता है। जातक बहुत ही त्वरित एवं बेबाक टिप्पणी करने वाला होता है। जातक तेजस्वी, आत्मसिद्ध एवं चिंतन मनन करने वाला होता है। जातक अपने स्वमं के परिश्रम से धन अर्जित कर धनवान बनता है। जातक प्रसिद्धि व्यक्ति होता है। जातक राजनीति में दिलचस्पी एवं सत्ता पक्ष उच्च पहुँच रखने वाला होता है। ऐसा जातक उच्च शिक्षा प्राप्त एवं बही खाता अथवा लेखा जोखा आदि के कार्यों से सम्बंधित रहने वाला होता है।
जन्म कुण्डली में सूर्य ग्रह प्रथम भाव में स्थित होने से जातक मदिरापान एवं मांसाहार से परहेज करने वाला होता है। ऐसा जातक गरीब एवं असहाय लोगों का सहयता करने वाला होता है। जातक धार्मिक एवं परोपकार सम्बंधित कार्यों में जितना योगदान देता है उतना ही उसकी धन, संपत्ति एवं शिक्षा में वृद्धि होती है। जातक के मुख मण्डल पर तेज स्थित होता है एवं जातक लम्बे कद काठे का होता है। जातक अत्यंत ही सहनशील होता है। ऐसा जातक दूसरों के कहे सुने पर विश्वास नहीं करता है। जातक चरित्रवान होता है। जातक को जीवन के चौबीसवें वर्ष में विवाह करना शुभ फलदायक रहता है। जातक को आज्ञाकारी पत्नी एवं संतान दोनों का सुख प्राप्त होता है।
जन्मपत्री के प्रथम भाव हेतु सूर्य ग्रह टोटके :
♦ जल में चीनी डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
♦ जल स्रोत का निर्माण कराएं।
♦ सदैव सदाचार का पालन करें।
♦ घर के अंत में दायीं दिशा में अँधेरी कोठरी बनयाएं।
♦ घर में आँगन का निर्माण मध्य भाग में कराएं।
♦ घर का प्रमुख प्रवेश द्वार पूर्व दिशा मुखी रखें।
♦ चौबीसवें वर्ष में विवाह करें।
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