8 साल पूर्व
यदि कुंडली में चन्द्रमा अशुभ होकर किसी भी भाव में स्थित है, तो ऐसी स्थिति में चन्द्रमा ग्रह के कारण उत्पन्न होने वाले कष्टों व परेशानियों के निवारणार्थ हेतु लाल किताब के टोटके समस्त बारह भावों के अनुसार निम्नवत हैं :-
प्रथम भाव :
♦ माता से चांदी व चावल लेकर अपने साथ रखना चाहिए।
♦ चांदी के गिलास में दूध का सेवन करें।
♦ माता से आशीर्वाद प्राप्त करें।
♦ पलंग के पायों में ताम्बे की कील गाढ़ें अथवा तांबे की पत्ती लगाएं।
♦ बहते जल में ताँबे का सिक्का प्राविहित करें।
♦ चांदी के गिलास में पानी का सेवन करें।
♦ आयु के चौबीसवें वर्ष में गाय पालें।
♦ चौबीस वर्ष की आयु से पूर्व गृह निर्माण न करें।
♦ विवाह सत्ताईस वर्ष की आयु के पश्चात ही करें।
द्वितीय भाव :
♦ माता से चांदी व चावल लेकर अपने साथ रखना चाहिए।
♦ माता से आशीर्वाद प्राप्त करें।
♦ घर की नींव खोदते समय उसमें चांदी की ईंट रख दें।
तृतीय भाव :
♦ माँ दुर्गा का पूजन अर्चन करें।
♦ पुत्र के जन्म दिवस पर गेहूं, गुड़ व ताँबा दान करें।
♦ पुत्री के जन्म दिवस पर चावल, दूध एवं चांदी का दान करें।
♦ कन्यादान करें।
चतुर्थ भाव :
♦ कपडे का व्यापार माता की साझेदारी में करें।
♦ दुग्ध अथवा दुग्ध निर्मित पदार्थों से सम्बंधित वस्तुओं का व्यापार न करें।
पंचम भाव :
♦ पर्वतीय धार्मिक स्थलों की यात्रा करें।
♦ धार्मिक अनुष्ठान करें।
षष्टम भाव :
♦ कुआँ खुदवाएं अथवा हैंड पंप लगवाएं।
♦ अपनी बात किसी के सम्मुख उजागर न करें।
♦ खरगोश का लालन पालन करें।
सप्तम भाव :
सदैव सदाचार का पालन करें।
आयु के चौबीसवें वर्ष से पूर्व विवाह न करें।
अष्टम भाव :
♦ शमशान में जल स्रोत लगवाएं।
♦ अस्पताल में जल स्रोत लगवाएं।
♦ सूर्य एवं बृहस्पति से सम्बंधित वस्तुओं का दान करें।
♦ पुरखों के नाम पर दान करें।
नवम भाव :
♦ सदैव सदाचार का पालन करें।
♦ प्रायः मंदिरों अथवा देवालयों में समागम करें।
दशम भाव :
♦ सदैव सदाचार का पालन करें।
♦ दुग्ध का सेवन रात्रि में कदापि न करें।
♦ रोगियों की सेवा करें अथवा उन्हें मुफ्त दवाईयाँ उपलब्ध कराएं।
एकादश भाव :
♦ भैरव मंदिर में जाकर उन पर दुग्ध अर्पित करें।
♦ पुत्र के जन्म के तुरंत बाद उसका चेहरा न देखें।
♦ नौ वर्ष तक की आयु वाले बच्चों को पेड़े खिलाएं।
द्वादश भाव :
♦ वर्षा जल में डालकर चार चांदी से निर्मित गोली घर में रखें।
♦ समस्त भावों हेतु चन्द्रमा के सामान्य उपाय :सोमवार का उपवास रखें।
♦ शिवजी का पूजन अर्चन करें।
♦ अमरनाथ की तीर्थ यात्रा करें।
♦ चांदी की अंगूठी में मोती रत्न धारण करें।
♦ शमशान घाट पर चांदी अथवा चावल डालें।
♦ गंगा स्नान लें।
♦ दादी, माता एवं सास से आशीर्वाद प्राप्त करें।
♦ छत पर लगी पानी की टंकी की नियमित साफ़ सफाई करें।
♦ घर में जल उत्सर्जन स्रोत खुले में लगाएं।
♦ चावल, दुग्ध एवं चांदी का दान करें।
♦ पलंग के पाये में चांदी की पत्ती लगवाएं।
♦ कुण्डली में चन्द्रमा यदि उच्च स्थिति में है तो चन्द्रमा से सम्बंधित वस्तुओं का दान न करें।
♦ कुण्डली में चन्द्रमा यदि नीच स्थिति में है तो चन्द्रमा से सम्बंधित वस्तुओं का दान करें।
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