ज्योतिषशास्त्र : लाल किताब

अशुभ शुक्र हेतु द्वादश भाव लाल किताब टोटके

Sandeep Pulasttya

8 साल पूर्व

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यदि कुंडली में शुक्र अशुभ होकर किसी भी भाव में स्थित है, तो ऐसी स्थिति में शुक्र ग्रह के कारण उत्पन्न होने वाले कष्टों व परेशानियों के निवारणार्थ हेतु लाल किताब के टोटके समस्त बारह भावों के अनुसार निम्नवत हैं :-

 

प्रथम भाव :

♦   गौ मूत्र का सेवन करें। 

♦   सास ससुर से शुद्ध चांदी लेकर सदैव अपने पास रखें।

♦   काली गाय की सेवा करें।

♦   दिन में सम्भोग न करें।

♦   गुड़ का सेवन करें।

♦   ईश्वर में अटूट आस्था रखें। 

♦   दही से स्नान करें।

♦   अपने भोजन का कुछ भाग गाय, कुत्ते व पक्षियों को अवश्य दें।

♦   सरसों व जौ का दान करें। 

♦   पत्नी को सिर में सोना धारण कराएं।

 

द्वितीय भाव :

♦   200 ग्राम गाय का घी मंदिर में दान करें।

♦   मक्खन, दही व आलू का दान करें।

♦   संतान उत्पन्न सम्बंधित दवा खाते समय उसमें मीठा डालकर ही सेवन करें।

♦   चार पैरों वाले जानवरों से सम्बंधित व्यापार करें।

♦   पितृ ऋण सम्बंधित उपाय करें।

 

तृतीय भाव :

♦   ससुराल पक्ष के साथ व्यापार न करें।

♦   चांदी धारण करें। 

♦   घर में संगीत नृत्य न करें न ही करने दें।

♦   अपनी पत्नी के साथ सम्पूर्ण रीती अनुसार पुनः विवाह करें।

 

चतुर्थ भाव :

♦   अपनी पत्नी के साथ सम्पूर्ण रीती अनुसार पुनः विवाह करें।

♦   सदैव सदाचार का पालन करें।

♦   तांबे का छेकल पैसा बहते जल में प्रवाहित करें।

♦   आध्यात्म में रूचि रखें।

♦   पर स्त्री से दूर रहे।

 

पंचम भाव :

♦   माता के सेवा करें।

♦   गाय की सेवा करें।

♦   माता पिता के विरुद्ध जाकर प्रेम विवाह न करें।

♦   गुप्तांग को दही से धोएं।

♦   सदाचार का पालन करें।

 

षष्टम भाव :

♦   चांदी से निर्मित ठोस गोली सदैव अपनी जेब में रखें।

♦   नारी का सम्मान करें।

♦   स्त्रियों को घर में नंगे पावं न घूमने फिरने दें।

♦   पत्नी को सम्मान व शान से रखें।

♦   अन्य स्त्रियों का सम्मान करें।

 

सप्तम भाव :

♦   शुक्रवार के दिन कांसे का बर्तन दान दें।

♦   गंदे नाले में नीले रंग का फूल डालें।

♦   सदैव माता पिता के चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लेते रहे।

♦   लाल रंग की गाय को चारा खिलाएं व उसकी सेवा करें।

♦   विवाह के समय दहेज़ में पीतल व कांसे के बर्तन लें।

 

अष्टम भाव :

♦   किसी से कोई भी वस्तु मुफ्त अथवा उपहार स्वरुप न स्वीकार करें।

♦   मंदिर में जाकर माथा टेकें।

♦   गंदे नाले में नीले रंग का फूल डालें।

♦   काली गाय की सेवा करें।

♦   कभी स्कूल अथवा पाठशाला न खोलें।

♦   बच्चों की निशुल्क शिक्षा का प्रबन्ध न करें।

♦   800 ग्राम गाजर मंदिर में दान स्वरुप दें।

♦   आठ शुक्रवार आटे में गुड़ मिलाकर पेड़े बना लें व गाय को खिलाएं।

 

नवम भाव :

♦   अनाथ बच्चों को गोद न लें।

♦   पितृ ऋण के उपाय करें।

♦   चांदी के चौकोर टुकड़े नीम के पेड़ में गाढ़ दें।

♦   घर की नींव में चांदी की डिब्बी में शहद भरकर दबा दें।

♦   आयु के पच्चीसवें वर्ष में विवाह न करें।

♦   चांदी के कड़े पर तांबे की पॉलिश चढ़वाकर धारण करें।

 

दशम भाव :

♦   दही से गुप्तांग धोएं।

♦   घर की छत पर ईधन जैसे लकड़ी, कोयला, उपले आदि न रखें।

♦   मांस मदिरा का सेवन कदापि न करें।

♦   किसी की भी न तो हत्या करें एवं न ही करवाएं।

♦   गणेश जी का पूजन अर्चन करते रहे।

♦   दस अंधे व्यक्तियों को भोजन कराएं।

♦   तरस खाकर किसी की भी सहायता न करें।

♦   48 वर्ष की आयु से पूर्व घर का निर्माण न करें।

♦   43 दिन तक निरंतर बहते जल में तांबे के सिक्के बहाएं।

♦   नाक साफ़ करने के पश्चात ही किसी भी कार्य को प्रारम्भ करें।

♦   पर नारी से अंतरंग सम्बन्ध न बनाएं।

♦   अति कामुकता से बचना उचित रहेगा।

♦   घर की पश्चिम दिशा की दीवार कच्ची रखें।

♦   कपिल गाय का दान करें।

 

एकादश भाव :

♦   रसोईघर में खाली बर्तन को ढक कर न रखें।

♦   मनी प्लांट अथवा अन्य चौड़े पत्तों वाले पौधे अथवा पेड़ घर में न लगाएं।

♦   शनिवार के दिन तेल का दान करें।

♦   पत्नी को घर का खजांची न बनाएं।

♦   मछली के तेल का सेवन करें।

♦   काले वस्त्र में काली उड़द बांधकर दान करें।

♦   शनिवार के दिन सरसों का तेल दान करें।

♦   नौकरी अथवा व्यापार बार बार न बदलें।

 

द्वादश भाव :

♦   गाय का दान करें।

♦   घर में शुद्ध घी का दीपक नित्य जलाएं।

♦   किसी दूसरे के वस्त्र न धारण करें।

♦   पितृ ऋण के निवारण हेतु उपाय करें।

♦   पत्नी के हाथों से दान धर्म के कार्य करवाएं।

♦   आजन्मकृत ऋण के निवारण हेतु उपाय करें।

 

 

समस्त भावों हेतु शुक्र के सामान्य उपाय :

♦   हीरा अथवा मोती धारण करें।

♦   वस्त्र साफ़ सुथरे व स्त्री किये हुए ही धारण करें।

♦   फटे पुराने अथवा जले हुए वस्त्र धारण न करें।

♦   शुक्रवार का उपवास रखें।

♦   कपडे इत्र लगाकर धारण करें।

♦   चेहरे पर क्रीम पाउडर लगाएं।

♦   शुद्ध घी, दही व कपूर मंदिर में चढ़ाएं।

 

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