ज्योतिषशास्त्र : लाल किताब

कुंडली के सामान भाव में दो ग्रहों का युग्म फलादेश एवं लाल किताब उपाय

Sandeep Pulasttya

7 साल पूर्व

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जातक की जन्म कुण्डली में जब किसी भाव में एक से अधिक ग्रह स्थित होते हैं तब ऐसी स्थिति को ग्रहों की युति अथवा युग्म की संज्ञा दी जाती है। जब दो ग्रह एक ही भाव में होते हैं तब उनका फलित एक दूसरे के प्रभाव से बदल जाता है। ग्रहों की युति का आंकलन किया जाए तो यह सैकड़ों की संख्या में हो सकता है। अतः हम यहां कुछ विशिष्ट ग्रह युतियों के फलित का लाल किताब अनुसार उपाय दे रहे हैं। इन उपायों के माध्यम से कोई भी जातक लाभान्वित हो सकता है।

 

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि सूर्य + चन्द्रमा ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को मांस मदिरा के सेवन से दूर रहना हितकारी रहता है।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के दूसरे भाव में यदि चन्द्रमा + शुक्र ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को कदापि न तो सार्वजनिक भूमिगत जल स्रोत व न ही पियाउ लगवाना चाहिए।  जातक को अपनी कलाई पर लाल धागा बांधकर रखना चाहिए।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि सूर्य + शुक्र ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को दुर्गा माता का तांत्रिक अनुष्ठान करना हितकारी रहता है।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि शनि + चन्द्रमा ग्रह की युति है एवं अशुभ होकर स्थित हैं तो ऐसे जातक को सूर्य को बल प्रदान करने के उपाय करने चाहिए।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि मंगल + राहु ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को मंगल के उपाय करने चाहिए एवं राहु की वस्तुएं मिट्टी के बर्तन में भरकर बहते जल में प्रवाहित करनी चाहिए।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि चन्द्रमा + राहु ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को चन्द्रमा, मंगल एवं गुरु के उपाय करने हितकारी रहते हैं।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि चन्द्रमा + केतु ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को बुध एवं केतु की वस्तुओं का दान करना चाहिए।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि चन्द्रमा + मंगल + राहु ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को दूध में मीठा हलुआ मिलकर स्वमं भी खाना चाहिए एवं दूसरों को भी खिलाना चाहिए।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि गुरु + केतु ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को जौ दूध से धोकर निरंतर 43 दिनों तक बहते जल में प्रवाहित करनी चाहिए। सोना धारण करें। केतु के उपाय करने चाहिए। मंगल की वस्तुओं का दान करना चाहिए।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि शुक्र + शनि ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को ताम्बे का छेकल पैसा बहते जल में प्रवाहित करना हितकारी रहता है। कुण्डली में दशम भाव में यदि कोई ग्रह स्थित हो तो उसके उपाय करें।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि सूर्य + गुरु ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को अपने घर में ठोस सोना जैसे सोने के बिस्कुट अथवा इंट स्थापित करनी चाहिए है। पिता का पलंग स्वमं के सोने के लिए प्रयुक्त करना चाहिए। पिता जब तक जीवित रहे उनके साथ ही रहना चाहिए।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि चन्द्रमा + गुरु ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को केतु की वस्तुएं एवं चांदी घर के किसी कोने में दबा देने से लाभ मिलता है। कुंवारी कन्याओं को टीका लगाकर उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना चाहिए। दुर्गा जी का तांत्रिक अनुष्ठान करना चाहिए। ताम्बे का छेकल पैसा बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए। कभी कभी भंगी को दान स्वरुप कुछ सिक्के देने चाहिए। शमशान घाट में जल स्रोत लगवाना चाहिए।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि गुरु + शनि ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को मांस मदिरा के सेवन से दूर रहना हितकारी रहता है। पत्नी के अतरिक्त दूसरी स्त्रियों से दैहिक सम्बन्ध नहीं बनाने चाहिए। शिवलिंग का तांत्रिक विधि से अनुष्ठान करना चाहिए। शनि एवं चन्द्रमा के उपाय करें। किसी से मुफ्त में अथवा उपहार स्वरुप कुछ न लें।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि गुरु + केतु ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को, पके हुए पीले नीम्बू दान करना हितकारी रहता है।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि बुध + गुरु ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को नाक छेदन करा उसमेंं नौ दिनों तक चांदी का तार धारण करना हितकारी रहता है। मिट्टी के बर्तन में खांड अथवा शक्कर भरकर उसे किसी वीरान स्थल में दबा देना चाहिए।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि बुध + शुक्र ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को बहते जल में रेवड़ियां प्रवाहित करना हितकारी रहता है। शुक्र के उपाय करने चाहिए।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के एकादश भाव में यदि बुध + शुक्र ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को सोने की परत चढ़ी मोती की माला को दूध से स्नान कराकर धारण करना हितकारी रहता है। चन्द्रमा के उपाय करने  चाहिए। किसी कन्या को गाय का दान करें।  बकरी का दान करें।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि बुध + शनि ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को मांस मदिरा के सेवन से दूर रहना चाहिए। जातक को लड़ाई झगड़ो से दूर रहना चाहिए। स्वार्थी प्रवृत्ति का त्याग करना चाहिए।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि बुध + राहु ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को कच्ची मिट्टी की सौ गोलियां बनाकर प्रतिदिन एक गोली किसी मंदिर में डालने से लाभ प्राप्त होता है।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि बुध + शुक्र ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को बहते जल में रेवड़ियां प्रवाहित करना हितकारी रहता है। शुक्र के उपाय करने  चाहिए।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि मंगल + बुध ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को मंगल के उपाय करना हितकारी रहता है।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि मंगल + शनि ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को माता एवं स्त्री पक्ष की सेवा करना हितकारी रहता है। चन्द्रमा, मंगल एवं शनि के उपाय करने चाहिए। घोड़ी के प्रसव के पश्चात प्रथम धार के दूध को कांच की शीशी में भरकर उस पर ढक्कन लगाएं व घर के मध्य में दबा दें।

किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि चन्द्रमा + शनि ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को शनि एवं केतु के उपाय करना हितकारी रहता है।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि शुक्र + राहु ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को कच्चे नारियल का दान हितकारी रहता है। नीले रंग का फूल 43 दिनों तक बहते जल में प्रवाहित करें। पत्नी को बायीं कलाई में चांदी का छल्ला धारण करायें।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के किसी भी भाव में यदि शनि + राहु ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को शनि एवं राहु के उपाय करना हितकारी रहता है। बादाम अथवा नारियल का सेवन कदापि भूनकर अथवा आग पर चढ़ाकर न करें।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के द्वित्य, तृतीय, पंचम, षष्टम, अष्टम, नवम, एकादश, द्वादश भाव में यदि राहु / केतु ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को ताम्बा एवं चांदी धारण करना हितकारी रहता है। बन्दर को गुड खिलाएं।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के प्रथम भाव में यदि  राहु / केतु ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को सूर्य के प्रथम भाव के उपाय करना हितकारी रहता है।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के चतुर्थ भाव में यदि  राहु / केतु ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को सूर्य के चतुर्थ भाव के उपाय करना हितकारी रहता है।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के सप्तम भाव में यदि  राहु / केतु ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को शनि के सप्तम भाव के उपाय करना हितकारी रहता है।

♦   किसी जातक की जन्म कुण्डली के दशम भाव में यदि  राहु / केतु ग्रह की युति है तो ऐसे जातक को मंगल के दशम भाव के उपाय करना हितकारी रहता है।

 

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