8 साल पूर्व
किसी जातक की लाल किताब जन्म कुंडली विवेचना में द्वितीय भाव क्या बतलाता है ? जाने
♦ लाल किताब अनुसार जन्म कुण्डली में स्थित द्वितीय भाव का स्वामी ग्रह शुक्र है एवं कारक ग्रह गुरु है।
♦ द्वितीय भाव में राहु एवं केतु गृहफल का ग्रह है एवं बुध राशिफल का ग्रह होता है।
♦ द्वितीय भाव का उत्तर पश्चिम दिशा से सम्बंधित है।
♦ यह भाव कुटुंब से सम्बंधित है।
♦ द्वितीय भाव कृषि भूमि के सम्बन्ध में भी बताता है।
♦ किसी जातक के परिवार, धन, संपत्ति, वाणी एवं नेत्रों के सम्बन्ध में जानना हो तो द्वितीय भाव से विवेचन करना चाहिए।
♦ लाल किताब अनुसार द्वितीय भाव में जो भी ग्रह होता है वही भाग्य का कारक होता है।
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में दशम भाव ग्रह रिक्त हो तो ऐसी स्थिति में द्वितीय भाव जो की कर्म स्थान है, वह सो जाता है एवं जब कर्म नहीं होगा तो धन कहाँ से आएगा।
♦ मान, सम्मान, एवं संचित धन का कारक द्वितीय भाव होता है।
♦ सुख साधन, ऐशो आराम का कारक द्वितीय भाव होता है।
♦ जातक के भीतर स्थित अच्छाईयाँ एवं बुराईयाँ इसी भाव से देखी जाती हैं।
♦ अच्छे कर्म एवं बुरे कर्मों का विवेचन भी द्वितीय भाव से किया जाता है।
♦ दूसरों से काम निकलवाने का सलीका द्वितीय भाव से देखा जाता है।
♦ घर में पालतू पशु के होने अथवा न होने का विवेचन भी द्वितीय भाव से देखा जाता है।
♦ ससुराल से संबंधों का कारक भी द्वितीय भाव होता है।
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