ज्योतिषशास्त्र : लाल किताब

लाल किताब कुंडली विवेचना में सप्तम भाव का महत्व

Sandeep Pulasttya

8 साल पूर्व

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किसी जातक की लाल किताब जन्म कुंडली विवेचना में सातवां भाव क्या बतलाता है ? जाने

 

♦   लाल किताब अनुसार जन्म कुण्डली में स्थित सप्तम भाव का स्वामी ग्रह शुक्र है एवं कारक ग्रह बुध एवं शुक्र हैं।

♦   सप्तम भाव में शुक्र गृहफल का ग्रह हैं सूर्य, गुरु एवं राहु राशिफल के ग्रह होते हैं।

♦   सप्तम भाव से किसी जातक के कितने विवाह होंगे इसका विवेचन किया जाता है।

♦   इस भाव से दंपत्ति एवं विवाह के सम्बन्ध में विवेचन किया जाता है।

♦   ससुराल का मकान कैसा होगा इसका विवेचन किया जाता है।

♦   जातक के व्यवसाय एवं व्यापार की स्थिति, व्यावसायिक एवं साझेदारी संबंधों की स्थिति, प्रतिदिन की आमदनी की स्थिति, बटुए की स्थिति का विवेचन किया जाता है।

♦   गृहस्थी चलाने के लिए सम्बंधित जातक को कितना श्रम करना होगा, इसी भाव से ज्ञात किया जाता है।

♦   धरती से उपजी वस्तुओं के सम्बन्ध में इसी भाव से ज्ञात किया जाता है।

♦   सप्तम भाव घर की दक्षिण पश्चिम दिशा से सम्बंधित होता है।

♦   चर्म रोग, पाँव एवं स्तनों के सम्बन्ध में विचार सप्तम भाव से किया जाता है।

♦   चूंकि बुध सप्तम भाव का कारक ग्रह है अतः बहिन बेटी बुआ के सम्बन्ध में विवेचन षष्टम भाव के साथ साथ सप्तम भाव से भी किया जाता है।

♦   सप्तम भाव का सम्बन्ध जन्म स्थान से भी होता है।

 

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