7 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में शनि ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक दूसरों का धन ठग कर अपनी संपत्ति बनाने के प्रयास करता है। जातक यदि पशु जैसे मछली अथवा भैंस का पालन करे तो अपेक्षित फल प्राप्त होता है। मजदूरी करने वाले लोगों को नियमित भोजन कराना अथवा उनका पालन करना भी अपेक्षित फल प्रदान करता है। ऐसा जातक यदि कुँए अथवा तालाब में कच्चा दूध डाले तो आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। ऐसे जातक के सगे सम्बन्धी उसकी सहायता करते है। जातक का जीवन सुख पूर्वक व्यतीत होता है।
जन्म कुण्डली में शनि ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित होने से जातक स्त्रियों एवं प्रेम संबंधों में व्यस्त रहने वाला होता है। आयु के बढ़ने के साथ ही जातक का मन मस्तिष्क नारी जाति से विरक्त हो धार्मिक क्रिया कलापों की ओर आकर्षित होने लगता है। जातक यदि किसी विधवा स्त्री पर धन व्यय करे तो कंगाल तक हो सकता है। जातक यदि अपने मकान की नींव रात्रि में खुदवाये अथवा मकान का निर्माण करवाये अथवा किसी सर्प की हत्या करे तो ऐसा करने के परिणाम स्वरुप जातक की माता एवं ननिहाल वालों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है। जातक की माता दुखी रहती है। जातक को माता पिता एवं पत्नी का सुख लम्बे समय तक प्राप्त होता है। किसी बीमारी अथवा विकार से आक्रान्त होने पर शनि से सम्बंधित वस्तुओं का दान करने से अपेक्षित व अनुकूल परिणाम प्राप्त किया जा सकता है।
जन्मपत्री के चतुर्थ भाव हेतु शनि ग्रह टोटके :
♦ सर्पों को दूध पिलायें व उनकी रक्षा करें।
♦ कौओं को भोजन डालें।
♦ काले वस्त्र न धारण करें।
♦ हरा रंग प्रयोग न करें।
♦ पड़ोसियों की सहायता करें।
♦ मकान बनाने से पूर्व भैंसा दान स्वरुप किसी को भेंट करें।
♦ कुँए में दूध डालें।
♦ भैंसों को चारा पानी डालें।
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