6 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में शनि ग्रह पंचम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक सरकारी सेवारत होता है। जातक को सरकारी पक्ष से लाभ प्राप्त होता है। जातक तकनीकी कार्यों से भी सम्बद्ध रहता है। ऐसा जातक कुशल प्रबन्धक भी होता है। कार्य में सफाई एवं चतुराई के बल पर जातक की आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। जातक को समाज में मान सम्मान प्राप्त होता है। जातक भाग्यवान होता है। जातक का स्वमं का मकान होता है। संतान को धन हानि की संभावना रहती है। जातक की स्वमं की आर्थिक स्थिति खराब होने की संभावना होती है। जातक को गढ़ा हुआ धन प्राप्त हो इसकी संभावना रहती है।
जन्म कुण्डली में शनि ग्रह पंचम भाव में स्थित होने से जातक अपनी मर्जी का स्वामी होता है। देखने में ऐसा जातक एकदम साधारण सा प्रतीत होता है। जातक को कई संतानो का सुख प्राप्त होता है। ऐसा जातक यदि उड़नचास वर्ष की आयु से पूर्व अपने घर का निर्माण कराये तो उसकी संतानो पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। संतान नष्ट तो नहीं होती हैं अपितु संकट में जरूर पड़ जाती हैं। पुत्र के जन्म दिवस पर मिष्ठान के स्थान पर नमकीन भोज्य पदार्थ दूसरों को खिलाएं, तो शुभ फल प्राप्त होता है|
जन्म कुण्डली के पंचम भाव हेतु शनि ग्रह टोटके :
♦ 49 वर्ष की आयु से पूर्व घर का निर्माण न करें।
♦ मांस मदिरा का सेवन कदापि न करें।
♦ बादाम का सेवन न करें।
♦ स्वर्ण आभूषण धारण करें।
♦ केसर का मस्तक पर तिलक करें अथवा अपने साथ रखें।
♦ मंदिर में 10 अखरोट अथवा बादाम अपने साथ ले जाएँ, उनमें से आधे अखरोट अथवा बादाम चढ़ाकर, आधे वापस घर ले आएं। अखरोटों को तो टिन की डिब्बी में रख दें व यदि बादाम ले गए हों तो उन्हें सफ़ेद कपडे में लपेट कर रख दें।
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