5 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में शनि ग्रह षष्टम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक को धन लक्ष्मी की प्राप्ति जीवन पर्यन्त होती रहती है। ऐसा जातक खेलों के प्रति रुचिकर होता है। जातक संभवतः स्वमं भी प्रसिद्द खिलाड़ी होता है। जातक व्यवसाय करने वाला अथवा किसी प्राइवेट संस्थान में सेवारत रहता है। व्यवसाय अथवा नौकरी में बाधाएं आने की संभावना रहती है। ऐसे जातक को यात्राओं का शुभ फल प्राप्त होता है। जीवन के छत्तीसवें से उन्तालीसवें वर्ष की आयु के मध्य जातक के निवास स्थान का निर्माण होने की संभावना बलवती रहती है। किसी चरित्रहीन स्त्री से सम्बन्ध रखने पर, मदिरा अथवा मांसाहार का सेवन करने के कारण वर्ष पुलिस एवं अदालती कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है।
जन्म कुण्डली में शनि ग्रह षष्टम भाव में स्थित होने से जातक दीर्घ आयु वाला होता है। ऐसे जातक की मृत्यु किसी आकस्मिक दुर्घटना से होने की संभावना होती है। जातक गुप्त विधा में रूचि रखने वाला होता है। जीवन के अट्ठाइसवें वर्ष की आयु के पश्चात विवाह संस्कार उत्तम फल दायक सिद्ध होता है। इस आयु से पूर्व संपन्न विवाह माता, पत्नी एवं संतान के लिए कष्टदायक होता है। कोई अपाहिज संतान जीवन का सार बदल दे इसकी संभावना है। ऐसे जातक का छोटा भाई शत्रु हो जाता है किन्तु अंततः मित्र भाव रखने लगता है। जातक का परिवार सुखी जीवन यापन करता है।
जन्म कुंडली के षष्टम भाव हेतु शनि ग्रह टोटके :
♦ बादाम बहते जल में प्रवाहित करें।
♦ सर्पों को दूध पिलायें व उनकी रक्षा करें।
♦ काला कुत्ता पालें।
♦ शनिवार के दिन नए चमड़े के जूते दान स्वरुप किसी गरीब को दें।
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