7 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में शुक्र ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक धनवान एवं शक्तिसम्पन्न होता है। जातक को जीवन में समस्त ऐशो आराम प्राप्त होते हैं जिनका जातक भरपूर आनंद उठाता है। जातक को उत्तम वाहन एवं भवन का सुख प्राप्त होता होता है। संभवतः ऐसा जातक सरकारी नौकरी में उच्च पद पर आसीन होता है। यात्राएं व्यवसायिक रूप से लाभप्रद सिद्ध होती हैं। जातक आध्यात्म की ओर आकर्षित रहने वाला होता है। जातक प्रसिद्धि प्राप्त करे इसकी पूर्ण संभावना रहती है। जातक यदि अपने ननिहाल पक्ष की सहायता करे अथवा उनके व्यवसाय में भागीदार रहे तो निश्चित ही उनको लाभ प्राप्त कराता है।
जन्म कुण्डली में शुक्र ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित होने से जातक के दो विवाह हों इसकी पूर्ण संभावना रहती है। जातक के भीतर अत्यधिक काम वासना स्थित होती है, जो दो पत्नियों के रहते भी शांत नहीं होती एवं जातक अन्य स्त्रियों के संपर्क में भी निरंतर बना रहता है। विवाह उपरान्त प्रथम चार वर्ष जातक के लिए ऐश एवं मौज मस्ती से भरपूर रहते हैं। विवाहोत्तर संबंधों के कारण पत्नी एवं संतान पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जो जातक की चौंतीस वर्ष की आयु के पश्चात कम दीखता प्रतीत होता है। जातक की पत्नी जातक के कहे अनुसार चलती है। अनैतिक प्रेम सम्बन्ध एवं नशाखोरी जातक के जीवन की बर्बादी का मूल कारण बनते है। विवाह उपरान्त घर के आँगन में भूमिगत जल स्रोत लगवाना शुभ फलदायक रहता है।
जन्मपत्री के चतुर्थ भाव हेतु शुक्र ग्रह टोटके :
♦ अपनी पत्नी के साथ सम्पूर्ण रीती अनुसार पुनः विवाह करें।
♦ सदैव सदाचार का पालन करें।
♦ तांबे का छेकल पैसा बहते जल में प्रवाहित करें।
♦ आध्यात्म में रूचि रखें।
♦ पर स्त्री से दूर रहे।
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