5 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में शुक्र ग्रह षष्टम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक अपनी प्राप्त की हुई शिक्षा से हटकर किसी अन्य कार्य क्षेत्र को चुनता है। इस प्रकार चुना गया कार्य क्षेत्र शुभ फलदायक नहीं होता है। जातक की विधा अर्जन एवं धनार्जन में बाधाएं आती हैं। जातक को धन संपत्ति की हानि हो इसकी भी प्रबल संभावना होती है। पिता का अल्प सुख ही जातक के भाग्य में होता है। जातक का विवाह में विभिन्न बाधाओं के कारण विलम्भ होता है। संतान सुख भी विलम्भ से प्राप्त होता है। जातक को पुत्र संतान की अपेक्षा कन्या संतान का अधिक सुख प्राप्त होता है। जातक की वृद्धावस्था युवावस्था से अधिक सुखमयी होती है।
जन्म कुण्डली में शुक्र ग्रह षष्टम भाव में स्थित होने से जातक दूषित बुद्धि का होता है। जातक अत्यंत ही कामी प्रवृत्ति का होता है एवं अपनी कामवासना की पूर्ती हेतु वह स्त्रियों की प्रशंसा कर उन्हें रिझाने का भी प्रयत्न करता है जिसमें वह सफल भी रहता है। इन अनुचित क्रिया कलापों के कारण जातक की काम शक्ति में ह्रास होता है। जातक के घर से पशु एवं धन चोरी होने की पूर्ण संभावना रहती है। जातक खान पान का शौकीन एवं स्वस्थ जीवन जीने वाला होता है। जातक के सम्मुख लड़ाई झगड़ों की समस्या विकराल रूप धारण किये बार बार आती है। सफ़ेद गाय का पालन करने अथवा सेवा करने से लाभ प्राप्त होता है।
जन्म कुंडली के षष्टम भाव हेतु शुक्र ग्रह टोटके :
♦ चांदी से निर्मित ठोस गोली सदैव अपनी जेब में रखें।
♦ स्त्रियों को घर में नंगे पावं न घूमने फिरने दें।
♦ पत्नी को सम्मान व शान से रखें।
♦ अन्य स्त्रियों का सम्मान करें।
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