4 साल पूर्व
जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में सूर्य ग्रह सप्तम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक के जन्म के पश्चात उसके माता पिता की आर्थिक स्थिति में ह्रास उत्पन्न होता है। जातक को बिना परिश्रम किये ही घर परिवार के किसी बुजुर्ग व्यक्ति से धन प्राप्त हो इसकी पूर्ण संभावना रहती है। ऐसे जातक को व्यापार में हानि होती है। जातक को सरकार के अधीनस्थ संस्थानों से कष्ट प्राप्त होता है। जातक को अधिक स्वार्थी होना अथवा अधिक व अनावश्यक क्रोधित होना निम्न स्तर पर ला सकता है। जातक बुलंद हौसलों वाला होता है। जातक धन के संचय में कुशल होता है। ऐसे जातक की संतान धनवान होती है। सूर्य के अधिक खराब फल देने की स्थिति में ऐसे जातक की पुत्र संतान अर्धविक्षिप्त पैदा हो इसकी संभावना रहती है।
जन्म कुण्डली में सूर्य ग्रह सप्तम भाव में स्थित होने से जातक के परिवार से सम्बन्ध अच्छे नहीं रहते है। जीवन काल में पच्चीसवें वर्ष की आयु तक माता के सुख में कमी रहती है। संभवतः ऐसे जातक के एक से अधिक विवाह हों। ऐसे जातक के उसकी पत्नी के साथ साथ अन्य पराई स्त्रियों से भी दैहिक सम्बन्ध होते हैं। पत्नी को स्वास्थ्य कष्ट बना रहता है। ससुराल पक्ष से जातक के सामान्य सम्बन्ध रहते हैं। जातक की पुत्री का विवाह उच्च परिवार में होता है। जातक का स्वमं का स्वास्थ्य ठीक रहता है किन्तु पॉव से सम्बंधित रोग विकार आक्रांत करते हैं।
जन्म कुंडली के सप्तम भाव हेतु सूर्य ग्रह टोटके :
♦ कार्य पर निकलने से पूर्व गुड़ खाकर पानी पियें, तब निकलें।
♦ भोजन खाने से पूर्व उसका कुछ भाग आहुति में डालें।
♦ काली गाय की सेवा करें।
♦ तांबे के चौकोर टुकड़े को जमीन में गाढ़ दें।
♦ रात में अंतिम बार जब चूल्हा बुझाएं तो उस पर दूध डालकर भुझा दें।
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