ज्योतिषशास्त्र : लाल किताब

सूर्य ग्रह षष्टम भाव लाल किताब कुंडली फलादेश टोटके

Sandeep Pulasttya

5 साल पूर्व

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जब किसी जातक की जन्म कुण्डली में सूर्य ग्रह षष्टम भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जातक का जन्म संभवतः अपनी ननिहाल में होता है। ननिहाल पक्ष से जातक को स्नेह प्रेम एवं विभिन्न रूपों में लाभ भी प्राप्त होता रहता है। जातक का जीवन चक्र चंचल रहता है। जातक सरकारी नौकरी का त्याग कर दे इसकी संभावना रहती है। जीवन में उप्पर उठने एवं धन अर्जित करने के कई महत्वपूर्ण अवसर जातक गवां बैठता है। जीवन में एक बार जातक का आर्थिक रूप से पतन अवश्य ही होता है। इस समय जातक के पिता का भी आर्थिक पतन होता है। ननिहाल पक्ष भी पीड़ित हो जाता है। पुत्र संतान जन्म के पश्चात स्थिरता आनी प्रारम्भ होती है। जातक को अपने दादा का सुख भी लम्बी अवधि तक प्राप्त होता है। ऐसा जातक अपने भाग्य पर यकीन रखने वाला होता है। पिता अथवा पुत्र के साथ साझेदारी में अथवा उनकी सहयता लेकर किया गया ऊधम निष्फल रहता है। जातक का धन अदालती खर्चों में अधिक व्यय होता है।  

जन्म कुण्डली में सूर्य ग्रह षष्टम भाव में स्थित होने से जातक स्वाभाव से क्रोधी होता है। जातक को पत्नी एवं संतान का सुख कम ही प्राप्त हो पाता है। जातक के अपनी पत्नी  के अतरिक्त अन्य स्त्रियों से भी दैहिक सम्बन्ध रहते हैं, किन्तु ऐसे अनैतिक सम्बन्ध छुपे ही रहते हैं। जातक शत्रुहंता होता है। जातक को पावँ से सम्बंधित रोग व कष्ट आक्रांत करते हैं।

 

जन्म कुंडली के षष्टम भाव हेतु सूर्य ग्रह टोटके :

♦   चांदी के बर्तन में गंगा जल भरकर अपने समीप रखें।

♦   वानरों को गुड व गेहूं खिलाएं।

♦   माता व दादी के चरण धोकर आशीर्वाद लें।

♦   भूरे रंग की चींटियों को बाजरा खिलाएं।

 

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