ज्योतिषशास्त्र : लाल किताब

लाल किताब कुण्डली तृतीय भाव फलादेश एवं महत्व

Sandeep Pulasttya

8 साल पूर्व

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लाल किताब ज्योतिष अनुसार तृतीय भाव से किसी जातक के विषय में क्या क्या ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है अथवा लाल किताब का तृतीय भाव जातक के विषय में क्या ज्योतिष फलादेश देता है निम्न बिंदुओं अनुसार आप स्वमं जान सकते हैं :

 

♦   लाल किताब अनुसार जन्म कुण्डली में स्थित तृतीय भाव का स्वामी ग्रह बुध है एवं कारक ग्रह मंगल है।

♦   तृतीय भाव में शनि गृहफल एवं राशिफल दोनों का ग्रह होता है।

♦   यह भाव दक्षिण दिशा का कारक है।

♦   इस भाव से भाग्य के उतार चढ़ाव का विवेचन किया जाता है।

♦   इस भाव से किसी जातक के छोटे भाई बहिन, पराक्रम, छोटी यात्राओं सम्बंधित विवेचन किया जाता है।

♦   जातक को मेहनत का फल कितना एवं कब मिलेगा।

♦   चोरी होने अथवा न होने एवं उससे होने वाली आर्थिक हानि का आंकलन इसी भाव से होता है।

♦   जातक के ऐशो आराम से सम्बंधित साधनो का विवेचन तृतीय भाव से होता है।

♦   जातक में स्थित उत्साह एवं शारीरिक चुस्ती एवं फुर्ती का आंकलन इसी भाव से होता है।

♦   मित्रों की आर्थिक स्थिति का आंकलन इसी भाव से होता है।

♦   जातक के जिम्मेदारी एवं फर्ज निभाने की क्षमता का विवेचन तृतीय भाव से होता है।

♦   जातक की आँखों की पलकों के सम्बन्ध में विवेचन इसी भाव से होता है।

♦   देह में स्थित रक्त की मात्रा एवं दोष विकारों का विवेचन तृतीय भाव से होता है।

♦   जातक की देह की महक इसी भाव से देखी जाती है।

♦   जातक के उसके बहनोई एवं साली से संबंधों का विचार इसी भाव से होता है।

♦   जातक के प्रकाशन कार्य का विचार इसी भाव से होता है।

♦   घर में स्थित हथियारों की स्थिति का विचार इसी भाव से होता है।

♦   जातक की मृत्यु किस स्थिति में होगी, इसका कारक तृतीय भाव होता है।

 

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