6 साल पूर्व
शास्त्रीय मन्त्र कई प्रकार के होते है। अक्सर देखने सुनने को मिलता रहता है कि फलां साधु अथवा फकीर, ने एक मन्त्र पढ़ा और रोगी का रोग दूर हो गया। यह कोई जादू नहीं बल्कि शास्त्रीय मन्त्रों का प्रभाव है जिससे साधु अथवा फकीर आमजन को चमत्कृत एवं उपकृत करते रहते हैं। इन मन्त्रों को कोई भी व्यक्ति जप साधना से सिद्ध कर सकता है। ये अपना प्रभाव सिद्ध होने के पश्चात ही दिखाते हैं। जो व्यक्ति इन्हे सिद्ध कर लेता है वही व्यक्ति इन्हे क्रियाशील कर सकता है। शास्त्रीय मन्त्रों की जप साधना अपेक्षाकृत सरल है एवं इनका प्रभाव प्रबल व अचूक है। यहाँ हम शास्त्रीय मन्त्रों के अंतर्गत औषधि प्रभावशीलता वर्धक मन्त्र उसकी प्रयोग विधि सहित प्रस्तुत कर रहे हैं -
औषधि प्रभावशीलता वर्धक मन्त्र :
ओइम् ह्नीं सर्वते श्रीं क्लीं सर्वोषधि प्राणदायिनी
नै़ऋत्ये नमोनमः स्वाहा।
प्रयोग विधि -
किसी भी रोगी को औषधि देने से पूर्व, उस औषधि पर इस मन्त्र को पढ़ते हुए 8 बार फूंक मारने से वह औषधि अधिक प्रभावशाली हो जाती है। औषधि के गुण धर्म में वृद्धि हो जाती है। वस्तुतः किसी सूर्य अथवा चन्द्र ग्रहण अथवा किसी अन्य शुभ अवसर जैसे होली अथवा दीपावली पर इस मन्त्र की एक माला जप करके उसके पश्चात दशांश हवन कर देने से यह मन्त्र विशेष प्रभावशाली हो जाता है।
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