7 साल पूर्व
यक्षिणी कौन एवं क्या हैं ?
यक्षिणी, कोई राक्षसी नहीं अपितु यक्ष जाति की देवी हैं। यक्षिणी का नाम भले ही भयानक प्रतीत होता हो, परन्तु ये शीघ्र प्रसन्न होने वाली व अनेकों सिद्धियों की प्रदाता देवी है। यदि आस्था एवं विधि विधान पूर्वक इन्हें सिद्ध कर लिया जाय, तो कामनापूर्ति में कोई संशय नहीं रहेगा।
मनुष्य के सभी संकट चाहे वे दैहिक, दैविक, भौतिक ही क्यों न हों श्रद्धाभाव से यक्षिणी को प्रसन्न कर दूर किये जा सकते हैं। यक्षिणी के विषय में ऐसी मान्यता भी है कि वह अपने आराधक का संकट दूर करके उसकी सहायता अवश्य करती है। नियमानुसार अनुष्ठान करके कोई भी व्यक्ति इनसे लाभान्वित हो सकता है। किन्तु अनुष्ठान के लिए शुभ मुहूर्त तथा अपेक्षित विधि आवश्यक है। एक प्रचलित यक्षिणी कल्प के अनुसार, प्रमुख यक्षिणी देवियों की संख्या 24 है। निम्नवत चन्द्रिका यक्षिणी साधना विधि, मन्त्र एवं फल प्रभाव दिया गया है।
चन्द्रिका यक्षिणी साधना विधि :
सिद्धि मन्त्र : - "ओम् नमो भगवती चन्द्रिकाय स्वाहा।"
जप विधि :- शुक्ल पक्ष की रात्रि में किसी शुभमुहूर्त में, एकान्त शुद्ध पवित्र स्थान में इस मन्त्र का एक लाख बार जप करने से उक्त मन्त्र सिद्ध हो जाता है।
प्रभाव :- चन्द्रिका बहुत ही सौम्य यक्षिणी है। इसकी कृपा से साधक को दीर्घायु प्राप्त होती है। प्रसन्न होने पर चन्द्रिका अपने हाथ से भक्त को ‘अमृत रसायन’ प्रदान करती है। अमृत रसायन के विषय में प्रसिद्ध है कि यदि कोई इसका सेवन करले तो वह एक सहस्र वर्ष की आयु भोगता है।
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