6 साल पूर्व
शास्त्रीय मन्त्र कई प्रकार के होते है। अक्सर देखने सुनने को मिलता रहता है कि फलां साधु अथवा फकीर, ने एक मन्त्र पढ़ा और रोगी का रोग दूर हो गया। यह कोई जादू नहीं बल्कि शास्त्रीय मन्त्रों का प्रभाव है जिससे साधु अथवा फकीर आमजन को चमत्कृत एवं उपकृत करते रहते हैं। इन मन्त्रों को कोई भी व्यक्ति जप साधना से सिद्ध कर सकता है। ये अपना प्रभाव सिद्ध होने के पश्चात ही दिखाते हैं। जो व्यक्ति इन्हे सिद्ध कर लेता है वही व्यक्ति इन्हे क्रियाशील कर सकता है। शास्त्रीय मन्त्रों की जप साधना अपेक्षाकृत सरल है एवं इनका प्रभाव प्रबल व अचूक है। यहाँ हम शास्त्रीय मन्त्रों के श्री लक्ष्मी मन्त्र, उनकी प्रयोग विधि सहित प्रस्तुत कर रहे हैं-
श्री लक्ष्मी मन्त्र :
साधना विधि :- लक्ष्मी मन्त्र की सिद्धि प्राप्ति हेतु साधना, अगहन के किसी भी गुरुवार से शुभ नक्षत्र देखकर प्रारम्भ की जा सकती है। घर के किसी शुद्ध व एकान्त स्थान का चयन करें एवं स्नान आदि से निवृत्त हो, वहाँ लक्ष्मीजी का चित्र स्थापित कर पीले रंग के फूलों से लक्ष्मीजी का पूजन अर्चन करें, सम्पूर्ण जप काल में ऐसा करना है इस बात का ध्यान रखें। निम्न प्रस्तुत मन्त्र की नित्य 10 माला के हिसाब से कुल एक लाख जप करने का विधान है। जप समाप्ति पर दशांश हवन करना विधि सम्मत होता है।
मन्त्र इस प्रकार है :-
‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यैनमः।’
प्रभाव :- इस मन्त्र की सिद्धि हो जाने पर लक्ष्मीजी की अपार कृपा प्राप्त होती है एवं सुख संपत्ति में वृद्धि होती है।
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