ज्योतिषशास्त्र : मन्त्र आरती चालीसा

शिव अष्टोत्तर शतनामावली

Sandeep Pulasttya

5 साल पूर्व

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||  शिव अष्टोत्तर शतनामावली  ||
 
ॐ शिवाय नमः
ॐ महेश्वराय नमः
ॐ शम्भवे नमः
ॐ पिनाकिने नमः
ॐ शशिशेखराय नमः
ॐ वामदेवाय नमः
ॐ विरूपाक्षाय नमः
ॐ कपर्दिने नमः
ॐ नीललोहिताय नमः
ॐ शङ्कराय नमः
ॐ शूलपाणये नमः
ॐ खट्वाङ्गिने नमः
ॐ विष्णुवल्लभाय नमः
ॐ शिपिविष्टाय नमः
ॐ अम्बिकानाथाय नमः
ॐ श्रीकण्ठाय नमः
ॐ भक्तवत्सलाय नमः
ॐ भवाय नमः
ॐ शर्वाय नमः
ॐ त्रिलोकेशाय नमः
ॐ शितिकण्ठाय नमः
ॐ शिवाप्रियाय नमः
ॐ उग्राय नमः
ॐ कपालिने नमः
ॐ कौमारये नमः
ॐ अन्धकासुर सूदनाय नमः
ॐ गङ्गाधराय नमः
ॐ ललाटाक्षाय नमः
ॐ कालकालाय नमः
ॐ कृपानिधये नमः
ॐ भीमाय नमः
ॐ परशुहस्ताय नमः
ॐ मृगपाणये नमः
ॐ जटाधराय नमः
ॐ क्तेलासवासिने नमः
ॐ कवचिने नमः
ॐ कठोराय नमः
ॐ त्रिपुरान्तकाय नमः
ॐ वृषाङ्काय नमः
ॐ वृषभारूढाय नमः
ॐ भस्मोद्धूलित विग्रहाय नमः
ॐ सामप्रियाय नमः
ॐ स्वरमयाय नमः
ॐ त्रयीमूर्तये नमः
ॐ अनीश्वराय नमः
ॐ सर्वज्ञाय नमः
ॐ परमात्मने नमः
ॐ सोमसूर्याग्नि लोचनाय नमः
ॐ हविषे नमः
ॐ यज्ञमयाय नमः
ॐ सोमाय नमः
ॐ पञ्चवक्त्राय नमः
ॐ सदाशिवाय नमः
ॐ विश्वेश्वराय नमः
ॐ वीरभद्राय नमः
ॐ गणनाथाय नमः
ॐ प्रजापतये नमः
ॐ हिरण्यरेतसे नमः
ॐ दुर्धर्षाय नमः
ॐ गिरीशाय नमः
ॐ गिरिशाय नमः
ॐ अनघाय नमः
ॐ भुजङ्ग भूषणाय नमः
ॐ भर्गाय नमः
ॐ गिरिधन्वने नमः
ॐ गिरिप्रियाय नमः
ॐ कृत्तिवाससे नमः
ॐ पुरारातये नमः
ॐ भगवते नमः
ॐ प्रमधाधिपाय नमः
ॐ मृत्युञ्जयाय नमः
ॐ सूक्ष्मतनवे नमः
ॐ जगद्व्यापिने नमः
ॐ जगद्गुरवे नमः
ॐ व्योमकेशाय नमः
ॐ महासेन जनकाय नमः
ॐ चारुविक्रमाय नमः
ॐ रुद्राय नमः
ॐ भूतपतये नमः
ॐ स्थाणवे नमः
ॐ अहिर्भुथ्न्याय नमः
ॐ दिगम्बराय नमः
ॐ अष्टमूर्तये नमः
ॐ अनेकात्मने नमः
ॐ स्वात्त्विकाय नमः
ॐ शुद्धविग्रहाय नमः
ॐ शाश्वताय नमः
ॐ खण्डपरशवे नमः
ॐ अजाय नमः
ॐ पाशविमोचकाय नमः
ॐ मृडाय नमः
ॐ पशुपतये नमः
ॐ देवाय नमः
ॐ महादेवाय नमः
ॐ अव्ययाय नमः
ॐ हरये नमः
ॐ पूषदन्तभिदे नमः
ॐ अव्यग्राय नमः
ॐ दक्षाध्वरहराय नमः
ॐ हराय नमः
ॐ भगनेत्रभिदे नमः
ॐ अव्यक्ताय नमः
ॐ सहस्राक्षाय नमः
ॐ सहस्रपादे नमः
ॐ अपपर्गप्रदाय नमः
ॐ अनन्ताय नमः
ॐ तारकाय नमः
ॐ परमेश्वराय नमः

 

शिव अष्टोत्तर शतनामावली एवं जपने के प्रभाव :-

शिव अष्टोत्तर शतनामावली जपने पढ़ने से साधक को मन मस्तिष्क की शान्ति प्राप्त होती है | साधक के मस्तिष्क सम्बंधित रोगों में लाभ मिलता है | उद्वेग आवेश की अधिकता व तीव्रता समाप्त हो जाती है | उच्च रक्त चाप में लाभ मिलता है | ह्रदय की धमनियों में रक्त का संचार सुचारु रूप से होने लगता है | मधुमेह रोग में रक्त में शर्करा की मात्रा को जप नियंत्रित करते हैं | साधक को परम कृपालु भोलेनाथ का सानिध्य प्राप्त होता व साधक उनकी कृपा का पात्र बन जाता है | साधक को धन, समृद्धि, यश कीर्ति की प्राप्ति होती है | कार्य में आ रहे अवरोध दूर होते हैं |

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