8 साल पूर्व
हाथों का अध्ययन कर किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान करना एक पुरानी कला है। हाथों को देखकर किसी व्यक्ति की प्रवृत्ति, उसके स्वभाव एवं क्रिया विधि का सही प्रकार से आकलन किया जा सकता है।
ज्योतिष विशेषज्ञों ने दो प्रकार के हाथों का वर्णन किया है। प्रमुख हाथ व गौण हाथ। प्रमुख हाथ वह होता है जो भविष्य में घटने वाली घटनाओं की सूचना देता है व उनकी प्रकृति बताता है एवं गौण हाथ वह होता है जो उत्तराधिकार में प्राप्त तथ्यों के बारे में सूचना देता है।
जो व्यक्ति दाएं हाथ से कार्य करते हैं उनका दायां हाथ एवं जो व्यक्ति बाएं हाथ से कार्य करते हैं उनका बायां हाथ प्रमुख हाथ माना गया है।
जबकि गौण हाथ व्यक्ति का दूसरा हाथ होता है, जो कि दाएं हाथ से कार्य करने वालों का बायां और बाएं हाथ से कार्य करने वालों का दायां हाथ ही गौण हाथ होता है।
सामान्यतः स्त्रियों का बायां हाथ ही प्रमुख हाथ होता है, किन्तु अब स्त्री कर्मचारी महिला हो, पुरुषों का प्रतिदिन के कार्यों में बराबर हाथ बंटाती हो, तब स्त्री का दायां हाथ ही प्रमुख मानना चाहिए।
जब एक ही चिन्ह सामान रूप से दोनों हाथों पर हो, तो उस चिन्ह को सफलता का अचूक चिन्ह मानना चाहिए।
हाथ का आकार
यदि कोई व्यक्ति लम्बा हो किन्तु उसके हाथ छोटे हों, तो ऐसा व्यक्ति बड़े स्तर पर कार्य करता हैं तथा ब्यौरों की परवाह नहीं करता। ऐसा व्यक्ति कुशाग्र बुद्धि का मालिक होता हैं। ऐसे व्यक्ति में अन्य व्यक्तियों एवं स्थितियों को शीघ्र और सही ढंग से परख लेने की अदभुद क्षमता होती है। जूलियस सीजर भी इसी आकार प्रकार का व्यक्ति एवं व्यक्तित्व का स्वामी था। उसके हाथ भी छोटे आकार के व कुछ-कुछ, स्त्रियों जैसे जान पड़ते थे। नेपोलियन के हाथ भी इसी प्रकार के थे।
छोटे कद के व्यक्तियों के हाथ जब अनुपात में बड़े हों, तो ऐसे व्यक्ति प्रत्येक बात का सूक्ष्मता से समझने व अध्यन की प्रवर्ति वाले होते हैं। भारत के दूसरे प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री ऐसे ही व्यक्ति थे।
हथेली का आकार
जिस व्यक्ति की चौड़ी हथेली होती हैं वह सहानुभूतिपूर्ण, प्रिय एवं उदार प्रवृति के व्यक्तित्व का स्वामी होता है। ऐसे व्यक्ति का जीवन के प्रति दृष्टिकोण विस्तृत होता है। ऐसा व्यक्ति दूसरों की भावनाओं की उपेक्षा नहीं करता एवं लोकप्रिय व्यक्तित्व का स्वामी होता है तथा हर प्रकार के व्यक्ति के साथ निभाव की क्षमता रखता है। ऐसे व्यक्ति बाहर के कार्यों को करने में, अंदर के कार्यों की अपेक्षा, ज्यादा आनंद व रुचि लेता है। अपने साथियों के लिए भी उसमें सहयोग की तीव्र भावना होती है।
संकुलित हथेली संकुलित मस्तिष्क होना दर्शाती है। ऐसा व्यक्ति स्वार्थी होता है। वह प्रकृति से ही आत्म केन्द्रित और स्वार्थ चिन्तन का शिकार होता है। उसमें एकाग्रता की भी क्षमता होती है, जो उसके लिए बहुत ही लाभदायक सिद्ध हो सकती है, बशर्ते कि उसका सही ढंग व समय पर प्रयोग किया जाए। वह व्यक्ति एकान्त प्रिय होता है और उसमें सामाजिकता की मात्रा बहुत कम होती है। उसमें स्थिति के अनुकूल ढल जाने का अभाव होता है और उसमें वस्तु निष्ठा भी नहीं होती।
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