8 साल पूर्व
ऐसा ऋषि मुनियो ने कहा है कि मनुष्य जो कोई भी कार्य करता है उसके परिणाम स्वरुप उस किये गए कार्य का स्थायी प्रभाव सम्बंधित मुनष्य के शारीरिक अंगों पर अवश्य ही पड़ता है। पुरातन काल से ऋषि मुनि मनुष्य का भूत, वर्तमान एवं भविष्य न केवल उसके हाथ की रेखाओं से अपितु पांव की रेखाओं से भी ज्ञात करते आये हैं।
कुछ हस्तरेखा ज्योतिषाचार्यों ने अपने लम्बे अनुभवों के आधार पर यह निष्कर्ष दिया कि, ‘समस्त क्षेत्रों से सम्बंधित व्यक्तियों के हाथ की रेखाओं को पढ़ने से यह स्पष्ट पाया गया है कि भूतकाल की घटनाएं हाथ की मुख्य रेखाओं में आसानी से खोजी जा सकने वाली विकृति या चिन्ह छोड़ देती हैं। यदि पांव की रेखाएं भी हाथ की रेखाओं की भांति आसानी से पढ़ी जा सकती हैं, तो पांव की रेखाएं पढ़ने के खिलाफ कोई सैद्धांतिक आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
इसके प्रमाण प्राचीन हिन्दू ग्रंथो में हस्तरेखा विदूषकों का पांवों की रेखाओं को पढ़कर एवं उन पर बने चिन्हों के आधार पर मुख्य घटनाओं की भविष्यवाणी करने की क्षमता से मिलते हैं। भगवान कृष्ण, गौतम बुद्ध एवं अन्य महान् व्यक्तियों का भविष्य उनके पैरों की रेखाओं के आधार पर ही बताया गया था। अब तो यह ज्ञान भारत में ही लगभग लुप्त सा हो गया है। अतः इस मृतप्रायः एवं लोलुप्त सी हो चुकी पद्दत्ति को फिर से जीवंत करने की घोर आवश्यकता है। हम इस दिशा में भरकस प्रयास कर रहे हैं व हमारे ब्लॉग में दिए गए अन्य लेखों के माध्यम से पाठक गण इस विषय से सम्बंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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