7 साल पूर्व
जिन व्यक्तियों का मूलांक छः होता है वे संसार को समझते हैं एवं संसार भी उन्हें समझता है। ऐसे व्यक्ति ईमानदार, धैर्यवान, परिश्रमी, निष्कपट, व्यावहारिक एवं विश्वसनीय होते हैं। ऐसे व्यक्ति मित्रों से अच्छा समन्वय बनाये रहते हैं। जीवन के प्रति इनका दृष्टिकोण साकारात्मक एवं विशाल होता है एवं समाज में इन्हें प्रेम व प्रतिष्ठा दोनों ही प्राप्त होती है।
संसार व जीवन के प्रति इनका दृष्टिकोण साकारात्मक, आशाजनक एवं उदार होती है। जीवन में अच्छी चीजों से इन्हें लगाव होता है। अपनी लगन व मेहनत के बल पर अर्जित प्रतिफल को दूसरों में बांटकर ये प्रसन्न होते हैं। समाज में उच्च एवं उत्तरदायित्व वाले पदो हेतु ऐसे व्यक्तियों की अत्यधिक मांग रहती है। जो व्यक्ति इन पर विश्वास करके चलते हैं, उनकी कसौटी पर ये खरे उतरते हैं। इन्हें नाम या प्रसिद्धि से कोई लगाव नहीं होता अतः अपनी लगन व मेहनत के बल पर अर्जित कार्य का प्रतिफल ही इनके लिए पुरस्कार होता है। ये सन्तोषी स्वाभाव वाले प्राणी होते हैं व जीवन में स्वमं को बहुत ऊंचा उठाने की इच्छा इनमें नहीं होती हैं। सन्तोष एवं तृप्ति ही इनका निराकरण है। ऐसे व्यक्तियों में स्थित असन्तोष की कमी ही इनकी अनन्त सफलताओं की प्रेरक है। प्रत्येक व्यक्ति के प्रति सरल व साधारण व्यवहार होने के कारण ऐसे व्यक्ति व्यर्थ के आदर्शों में नहीं बहते। स्वमं में स्थित बौद्धिक उत्कृष्टता के आधार पर ही इनको मित्रों की स्वाभाविक सहानुभूति प्राप्त होती है।
छः मूलांक वाला व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। यह मूलांक लिए व्यक्ति प्रत्येक कार्य को उचित समय पर करने का साहस रखता है। ऐसे व्यक्ति जागरूक एवं आत्मविश्वासी होते हैं। इनके बहुत से मित्र एवं अनुगामी होते हैं। ऐसे व्यक्तियों को राजनीतिक, सामाजिक एवं व्यवसाय के क्षेत्र में बहुत अधिक लोकप्रियता प्राप्त होती हैं। उच्च आदर्शों की प्राप्ति हेतु अथवा उन्हें बनाये रखने हेतु ऐसे व्यक्ति अत्यधिक मेहनत करते है एवं उन पर खरे भी उतरते हैं।
छः मूलांक वाले व्यक्ति न तो क्रान्तिकारी प्रवृत्ति के होते हैं एवं न ही प्रतिक्रियावादी प्रवृत्ति के होते हैं, किन्तु ये उग्र सुधारवादी प्रवृत्ति अवश्य रखते हैं। ये लोग अपने कार्यक्षेत्र में सृजनात्मक परिवर्तन लाते हैं। किये वायदों को निभाने में ये पूरे पक्के होते हैं। इनके मित्र एवं अनुगामी इनके कहे शब्दों को ब्रह्म वाक्य मानते हैं। ऐसे व्यक्ति, लालच, लालसा एवं महत्तवकांक्षा की अपेक्षा ईमानदारी को श्रेयस्कर समझते हैं। ये अपने स्वर्णिम उद्देश्यों की प्राप्ति सच्चाई एवं पवित्रता के बल पर प्राप्त किया करते हैं। सभी पर दया एवं करुणा की भावना इनकी प्रवृत्ति में सम्मिलित होती है।
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