ज्योतिषशास्त्र : हस्तरेखा एवं अंकज्योतिष

मूलांक 2 एवं इसका मानव व्यक्तित्व पर प्रभाव फलादेश

Sandeep Pulasttya

8 साल पूर्व

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न्यूमरोलॉजी अर्थात अंक ज्योतिष के अनुसार किन व्यक्तियों का मूलांक दो होता है ऐसे व्यक्ति उज्जवल, स्वस्थ एवं सन्तुलित प्रवृत्ति वाले होते हैं किन्तु कभी तो प्रसन्न अथवा कभी  उदास हो जाते हैं। दो मूलांक वाले स्त्री एवं पुरुष स्वाभाविक रूप में भी दिन व रात की तरह होते हैं।

जिन व्यक्तियों का मूलांक दो होता है ऐसे व्यक्ति समस्त परिस्थितियों को सहानुभूतिपूर्वक एवं सहजता से कार्य रूप देते हैं। ऐसे व्यक्ति स्वयं ही अपने विचारों के सही अथवा गलत होने का निर्णय नहीं लेते। अस्थिर विचारों के होने के कारणवर्ष ऐसे व्यक्ति अन्तिम निर्णय शीघ्र ही ले लेते हैं किन्तु मन को शांत फिर भी नहीं रख पाते। ऐसे व्यक्ति स्वयं को आगे लाने के लिए बढ़ा चढ़ाकर बातें बनाते हैं। एक मूलांक वाले सहयोगी के तो ये बहुत अच्छे परामर्शदाता सिद्ध होते हैं। मूलांक एक एवं दो के व्यक्ति ठीक सूर्य एवं चन्द्रमा की भांति हैं। एक अंधियारे को दूर करता है, तो दूसरा अंधेरे में भी चमकता है।

दृढ़ एवं सन्तुलित व्यावहारिक बुद्धि के बल पर दो मूलांक वाले व्यक्ति अपने मित्रों के सामयिक परामर्श दाता होते हैं। मित्रों एवं सहयोगियों के तो ये बहुत अच्छे परामर्शदाता सिद्ध होते हैं किन्तु स्वम के समस्याग्रस्त होने पर न तो निश्चयपूर्वक विचार कर पाते हैं एवं न ही उचित समय पर उचित निर्णय ले पाते हैं।

दो मूलांक वाले व्यक्तियों को चाहिए कि वे स्वमं को परिस्थितियों एवं स्थानों के अनुकूल बनाना चाहिए न कि परिस्थिति को स्वयं के अनुकूल ढालने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसे व्यक्ति को चाहिए कि अनावश्यक रूप से सहृदय न हों बल्कि परिस्थिति के अनुसार स्वमं में परिवर्तन लाएं।

जिस व्यक्ति का मूलांक दो होता है वह व्यक्ति बिलकुल सटीक निर्णय लेने वाला, अच्छा योजनाकार एवं सही परामर्श देने वाला होता है। किन्तु ऐसा व्यक्ति अपनी योजनाओं पर अमल नहीं कर पाता अतः उसे चाहिए की वह ऐसे व्यक्तियों के साथ मिलकर कार्य करे, जो उसकी योजनाओं को अंजाम दे सकें।

मूलांक दो वाले व्यक्तियों को अधिक भावुक व संवेदनशील नहीं होना चाहिए। ऐसे व्यक्तियों को दूसरों से सीख लेते हुए उचित एवं व्यावहारिक मार्ग अपनाना चाहिए। ऐसे व्यक्तियों को चाहिए कि तुच्छ बातों में समय नष्ट न कर मुख्य बातों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। व्यर्थ के तर्क वितर्कों से स्वमं को दूर रख अपने कार्य को शांतिपूर्वक सम्पन्न करना चाहिए।

 

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