8 साल पूर्व
रसोईघर निर्माण हेतु वास्तु शास्त्र सम्मत उत्तम दिशा एवं रसोईघर में अन्य सामान एवं सामग्री की वास्तु शास्त्र अनुसार स्थिति व व्यवस्था हेतु कुछ अत्यन्त महत्वपूर्ण टिप्स दिए जा रहे हैं, जिनका पालन कर पाठकगण जीवन में लाभ प्राप्त कर सकते हैं :
♦ रसोईघर बनाने के लिए घर का आग्नेय कोण अर्थात दक्षिण-पूर्वी दिशा वास्तु शास्त्र अनुसार सर्वोत्तम रहती है। घर के आग्नेय कोण में स्थित रसोईघर सुख एवं स्वास्थ्य का कारक होता है। जबकि, पूर्व दिशा तथा दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थापित रसोईघर समस्याओं को जन्म देता है।
♦ वास्तु शास्त्र अनुसार यदि आग्नेय कोण अर्थात दक्षिण-पूर्व दिशा में रसोईघर की स्थापना सम्भव न हो, तो इसे उत्तर-पश्चिमी दिशा वाले भाग में भी बनाया जा सकता है। किन्तु यह ध्यान रहे कि यदि दक्षिण-पूर्व दिशा के बजाय रसोईघर किसी अन्य दिशा में बनाया जा रहा है, तो खाना पकाने का स्लैब दक्षिण-पूर्वी कोने वाले भाग में ही बनाया जाए।
♦ रसोईघर कभी भी शयन कक्ष, पूजा घर, स्नान घर एवं शौंचालय के ठीक नीचे या ठीक ऊपर के कक्ष में नहीं बनाया जाना चाहिए।
♦ वास्तु शास्त्र अनुसार घर में रसोईघर हेतु दक्षिण-पूर्वी भाग को सर्वोत्तम बताया गया है। घर के दक्षिण-पूर्वी भाग को सूर्य का प्रकाश सबसे ज्यादा अवधि तक मिलने के कारण इस भाग में, रोशनी तथा गरमी रहती है, जिससे यहाँ नमी, सीलन, कीटाणु, कॉकरोच आदि नहीं पनप पाते। इसी कारण, भोजन पकाने और रखने के लिए दक्षिण-पूर्व सर्वाधिक उपयुक्त दिशा मानी जाती है। सूर्य से उत्सर्जित ऊर्जा का सम्पूर्ण लाभ लेने हेतु घर के दक्षिण पूर्व में खुला स्थान उपलब्ध होना आवश्यक है।
♦ वास्तु सम्मत रसोईघर में स्वच्छ जल लेने के लिए नल ईशान कोण अर्थात उत्तर-पूर्व दिशा वाले भाग में, खाना पकाने हेतु स्लैब पूर्वी दीवार के साथ-साथ इस प्रकार से बनाया जाना चाहिए कि खाना पकाते समय पकाने वाले का मुँह पूर्व दिशा की ओर रहे, मिक्सर आदि विधुत उपकरण आग्नेय कोण अर्थात दक्षिण-पूर्व दिशा वाले भाग में, बर्तन धोने वाली बेसिन दक्षिण दिशा में, बर्तन रखने का स्टैण्ड नैर्ऋत्य कोण अर्थात दक्षिण-पश्चिम दिशा वाले भाग में तथा फ्रिज वायव्य कोण अर्थात उत्तर-पश्चिम दिशा वाले भाग में होना चाहिए। यदि डायनिंग टेबल रसोईघर में ही रखनी हो, तो उसे रसोईघर के पश्चिमी दिशा वाले भाग में रखें।
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