ज्योतिषशास्त्र : वास्तुशास्त्र एवं फेंगशुई

दाम्पत्य में तनाव का फेंगशुई अनुसार निराकरण

Sandeep Pulasttya

7 साल पूर्व

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मानव दाम्पत्य जीवन को सुख प्राप्ति हेतु अपनाता है व जीवन चक्र में अपने जीवन साथी से बहुत सारी अपेक्षा रखता है। किन्तु यदि पति व पत्नी के बीच परस्पर प्रेम व सौहार्द की भावना न हो तो ऐसी परिस्थिति में उनका स्वमं का जीवन तो कष्टमय हो ही जाता है साथ ही साथ उनके बच्चों एवं अन्य परिजनों का जीवन भी नारकीय हो जाता है। चीनी फेंगशुई में दाम्पत्य जीवन में मधुरता लाने के अनेक उपाय बताए गए हैं जिनमें से कुछ निम्नवत है। हमारा यकीन है की यदि परस्पर प्रेम व सौहार्द की भावना खो चुके दंपत्ति इन उपायों को अपनाये तो अवश्य ही उनके दामपत्य जीवन में प्रेम व सौहार्द की गंगा बहने लगेगी। 

फेंगशुई की मान्यताओं के अनुसार, नैर्ऋत्य कोण अर्थात दक्षिण-पश्चिमी दिशा प्रेम एवं विवाह की दिशा है। इस दिशा को उचित प्रकार से सक्रिय करके दाम्पत्य सम्बन्धों की कटुता समाप्त की जा सकती है। दाम्पत्य संबंधों में प्रांगढ़ता बढ़ाने हेतु शयनकक्ष के अन्दर दक्षिण-पश्चिम दिशा में एक नर व एक मादा मैन्डारिन बत्तखों की मूर्ति जोड़े से लगाएं। शयनकक्ष के दक्षिण-पश्चिम भाग में दो असली क्वाट्र्ज क्रिस्टल रखने से भी दाम्पत्य संबंधों में परस्पर प्रेम व प्रांगढ़ता की वृद्धि होती है। विवाहित दंपत्ति का एक साथ खिंचा हुआ चित्र शयनकक्ष के अन्दर उसकी दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखने से दाम्पत्य जीवन का तनाव दूर होता है।

शयनकक्ष में यदि कोई दर्पण इस प्रकार से लगा हुआ है जिसमें सोते समय पति अथवा पत्नी का प्रतिबिम्ब दिखाई देता है, तो फेंगशुई की मान्यता अनुसार, इस प्रकार शयनकक्ष में लगा दर्पण शैनेः शैनेः दाम्पत्य सम्बन्धों में भारी तनाव उत्पन्न कर देता है। अतः दर्पण को इस प्रकार से शयनकक्ष में लगाएं की सोते समय उसमें दंपत्ति का प्रतिबिम्ब न दिखलाई पड़े। यदि किसी कारण से ऐसा करना संभव न हो पा रहा हो तो दर्पण को किसी परदे आदि से ढक कर रखें।

आजकल धातु से निर्मित पलंगों का चलन काफी बढ़ गया है किन्तु फेंगशुई की मान्यताओं के अनुसार धातु निर्मित पलंग दाम्पत्य जीवन में टकराव व कटुता की भावना उत्पन्न करता है। अतः पलंग धातु का न बनवाकर लकड़ी का ही बनवाना चाहिए।

पति एवं पत्नी के संबंधों में परस्पर प्रेम व मधुरता बढ़ाने हेतु शयनकक्ष में बिस्तर पर लाल रंग की चादर अथवा कम्बल या रजाई आदि का प्रयोग करने से भी काफी लाभ मिलता है। शयनकक्ष में कोई भी जल का स्रोत अथवा जल का चित्र एवं असली पौधा नहीं होना चाहिए। सोते समय दंपत्ति सिर या पैर सीधे दरवाजे की तरफ नहीं होने चाहिए एवं बिस्तर के ऊपर कोई प्रत्यक्ष दिखती हुई बीम नहीं होनी चाहिए।

फेंगशुई की मान्यता अनुसार, यदि रसोईघर में नल एवं चूल्हा परस्पर निकटवर्ती हैं तो इससे घर में अनावश्यक ही गलतफहमी की स्थिति उत्पन्न होने लगती है।

 

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